"किण्वन": अवतरणों में अंतर

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[[Image:Ethanol fermentation es.svg|right|thumb|एथनॉल का किण्वन]]
'''किण्वन''' एक जैव-रासायनिक क्रिया है। इसमें जटिल कार्बनिक यौगिक [[सूक्ष्मजीव|सूक्ष्म सजीवों]] की सहायता से सरल कार्बनिक यौगिक में विघटित होते हैं। इस क्रिया में [[ऑक्सीजन]] की आवश्यकता नहीं पड़ती है। किण्वन के प्रयोग से अल्कोहल या [[शराब]] का निर्माण होता है। पावरोटी एवं बिस्कूट बनाने में भी इसका उपयोग होता है। [[दही]], [[सिरका]] एवं अन्य रासायनिक पदार्थों के निर्माण में भी इसका प्रयोग होता है।
किण्वन की खोज 1797 में क्रूइकशेंक ने की थी फ्लूजर ने 1875 मे इसे अंतरणविकी स्वसन कहा तथा कोस्टेटचेव ने इसे अवायवीय श्वसन कहा। यहाँ आण्विक ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट दो अथवा अधिक सरल अणुओं में विघटित होते हैं।अवायवीय श्वसन (anaerobic respiration) में ग्लूकोज अणुओं के कार्बन अणु पूर्णरूप से CO2, के रूप में मुक्त नहीं होते हैं। इस क्रिया में माइटोकॉन्ड्रिया की आवश्यकता नहीं होती एवं यह क्रिया पूर्ण रूप से कोशिकाद्रव्य में सम्पन्न होती है। अर्थात् अवायवीय श्वसन के सभी विकर कोशिकाद्रव्य में उपस्थित होते हैं।
 
किण्वन एक चयापचय प्रक्रिया है जो एंजाइम की कार्रवाई के माध्यम से कार्बनिक सब्सट्रेट में रासायनिक परिवर्तन पैदा करती है। जैव रसायन में, इसे ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट से ऊर्जा की निकासी के रूप में परिभाषित किया गया है। खाद्य उत्पादन के संदर्भ में, यह मोटे तौर पर किसी भी प्रक्रिया को संदर्भित कर सकता है जिसमें सूक्ष्मजीवों की गतिविधि खाद्य पदार्थों या पेय के लिए वांछनीय परिवर्तन लाती है। किण्वन के विज्ञान को जीव विज्ञान के रूप में जाना जाता है।