"जमुई": अवतरणों में अंतर

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खैरा का दुर्गा मंदिर न केवल ऐतिहासिक है बल्कि इसकी पौराणिक महत्ता भी है। यहां के दुर्गा मंदिर और दुर्गा पूजा से खैरा प्रखंड के अलावा जिले व अन्य जिलों के लाखों लोगों की धार्मिक आस्था और मान्यता जुड़ी है। यही कारण है कि दुर्गा पूजा के अवसर पर लाखों लोग यहां आकर दंडवत देते हैं और भक्तिभाव से पूजा अर्चना करते हैं। दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां तीन दिवसीय मेला भी लगता है।
200 वर्ष पुराना है मंदिर खैरा का दुर्गा मंदिर 200 वर्षो से अधिक पुराना है। इसका निर्माण स्व. राजा रावणेश्वर प्रसाद सिंह के पुत्र स्व॰ गुरुप्रसाद सिंह द्वारा कराया गया था। दुर्गा पूजा के अवसर पर हजारों लोग मध्य रात्रि से ही रानी तालाब में स्नान कर माँ दुर्गा को दंडवत देती है। यहाँ मन्नतें पूरी होती है खैरा के दुर्गा मंदिर के प्रति आस्था रखने वाले और भक्तिभाव से पूजन करने वालों की मन्नतें पूरी होती हैं। यही कारण है कि लाखों लोग यहां पूजा करने आते हैं। यहां अष्टमी में मध्यरात्रि से बलि प्रथा की प्रचलन है जहां हजारों की संख्याओं में पशुओं की बलि दी जाती है। यहां के मूर्तिकार और पुजारी परंपरागत हैं।
 
 
=== कोकिलचंद बाबा मंदिर, गंगरा ===
जमुई जिले में गंगरा एक गाँव है, जो बाबा कोकिलचंद के पैतृक निवास के लिए प्रसिद्ध है। कोकिलचंद बाबा मंदिर में चारों ओर से लोग पूजा करने आते हैं। यह 700 साल पुराना माना जाता है। इस गाँव के कोई भी लोग शराब नहीं पीते है। यहाँ लगभग 700 वर्षों से शराबबंदी हैं।
 
== आवागमन ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/जमुई" से प्राप्त