"कंपनी": अवतरणों में अंतर
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==इतिहास एवं विकास==
संयुक्त स्कंध समवायों
आतंकग्रस्त ब्रिटिश संसद् ने सन् १७२० ई. में 'बबल्स ऐक्ट' पारित किया। इस अधिनियम ने धूर्ततापूर्ण समवायों के संगठन पर प्रतिबंध लगाने के बजाय समवायों के प्रवर्तन के व्यवसाय को ही अवैध करार दे दिया। यद्यपि सन् १८२५ ई. में इस अधिनियम का विखंडन हो गया तथापि सन् १८४४ ई. में ही जाकर बड़ी भागिताओं का पंजीकरण एवं सम्मेलन अनिवार्य किया जा सका। सीमित देयता (Limited Liability) सन् १८५५ में स्वीकृत की गई तथा तत्संबंधी पूरी विधि को सन् १८५६ ई. में ठोस रूप दिया गया। तब से समवायों के अधिनियमों में यथेष्ट संशोधन और सुधार होते रहे जबकि सन् १९४८ ई. में हमें नवीनतम अधिनियम प्राप्त हुआ। इस अवधि में समवायों का संयुक्त रूप से उन्नयन होता रहा। इसको खोलनेवाली चाभी सीमित देयता रही है। भारत में पहला समवाय अधिनियम सन् १८५० ई. में पारित हुआ और सबसे अंतिम सन् १९५६ ई. में।
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