"गायत्री मन्त्र": अवतरणों में अंतर

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अर्थात् मोती, मूंगा, सुवर्ण, नीलम्, तथा हीरा इत्यादि रत्नों की तीक्ष्ण आभा से जिनका मुख मण्डल उल्लसित हो रहा है। चंद्रमा रूपी रत्न जिनके मुकुट में संलग्न हैं। जो आत्म तत्व का बोध कराने वाले वर्णों वाली हैं। जो वरद मुद्रा से युक्त अपने दोनों ओर के हाथों में अंकुश,अभय, चाबुक, कपाल, वीणा,शंख,चक्र,कमल धारण किए हुए हैं ऐसी गायत्री देवी का हम ध्यान करते हैं।(डा.राममिलन मिश्र)I
 
==गायत्री महामन्त्र==