"श्रुति": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 2:
{{आधार}}
{{हिंदू शास्त्र और ग्रंथ}}
'''संगीत के अनुसार "श्रूयते इती श्रुति"।परन्तु संगीत मै श्रुति का कोई साब्दिक अर्थ नही लिया गया है। एक सप्तक मै एक दूसरे से ऊचे असंख्य नाद हो सकते है,उन्हें पहचानना वा गाना बजाना असंभव है,आत: प्राचीन विद्वानों ने दशकों के प्रयास के बाद उनमें से 22 नादो को चुना जिन्हें गाय वा बजाय जा सकता है।उन्हीं को हम श्रुति कहते है।ये 22 होती है'''
[[हिन्दू धर्म]] के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थों का समूह है। श्रुति का शाब्दिक अर्थ है ''सुना हुआ'', यानि ईश्वर की वाणी जो प्राचीन काल में ऋषियों द्वारा सुनी गई थी और शिष्यों के द्वारा सुनकर जगत में फैलाई गई थी। इस दिव्य स्रोत के कारण इन्हें धर्म का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत माना है। इनके अलावा अन्य ग्रंथों को [[स्मृति]] माना गया है - जिनका अर्थ है ''मनुष्यों के स्मरण और बुद्धि से बने ग्रंथ'' जो वस्तुतः श्रुति के ही मानवीय विवरण और व्याख्या माने जाते हैं। श्रुति और स्मृति में कोई भी विवाद होने पर श्रुति को ही मान्यता मिलती है, स्मृति को नहीं।
|