"शैव": अवतरणों में अंतर

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(11) [[लिंगायत मत|लिंगायत]] समुदाय दक्षिण में काफी प्रचलित था। इन्हें जंगम भी कहा जाता है, इस संप्रदाय के लोग शिव लिंग की उपासना करते थे।
 
(12) बसव पुराण में लिंगायत समुदाय के प्रवर्तक [[वल्लभ प्रभु]] और उनके शिष्य [[बासव|बसव]] को बताया गया है, इस संप्रदाय को [[वीरशिव संप्रदाय|वीरशैव]] भी कहा जाता था।
 
(13) दसवीं शताब्दी में [[मत्स्येंद्रनाथ]] ने [[नाथ संप्रदाय]] की स्थापना की, इस संप्रदाय का व्यापक प्रचार प्रसार बाबा [[गोरखनाथ]] के समय में हुआ।
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(14) दक्षिण भारत में शैवधर्म [[चालुक्य राजवंश|चालुक्य]], [[राष्ट्रकूट]], [[पल्लव राजवंश|पल्लव]] और [[चोल राजवंश|चोलों]] के समय लोकप्रिय रहा।
 
(15) [[नायनार|नायनारों संतों]] की संख्या 63 बताई गई है जिनमें उप्पारअप्पार, तिरूज्ञान संबंधार , संबंदरतिरुनीलकंठ औरनायनार , कण्णप्पा नायनार , अमरनीति नायनार , तिरुनावुक्करसर , चंडीश नायनार , गणनाथ नायनार , नंबिनंदी नायनार , तिरुमूल नायानार , दंडी अडिगल , नरसिंह मुनैयर नायनार , सुंदरसुंदरमूर्ति मूर्तिनायनार के नाम उल्लेखनीय है।
 
(16) पल्लवकाल में शैव धर्म का प्रचार प्रसार नायनारों ने किया।
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(17) [[एलोरा|ऐलेरा]] के कैलाश मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूटों ने करवाया।
 
(18) चोल शालकशासक राजराज ( प्रथम ) ने तंजौरतंजावूर में राजराजेश्वर शैवया श्री बृहदेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था।था ।
 
(19) [[कुषाण राजवंश|कुषाण शासकों]] की मुद्राओं पर [[शिव]] और [[नन्दी]] का एक साथ अंकन प्राप्त होता है।
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:(i) कपाली (ii) पिंगल (iii) [[भीम]] (iv) विरुपाक्ष (v) विलोहित (vi) शास्ता (vii) अजपाद (viii) आपिर्बुध्य (ix) शम्भ (x) चण्ड (xi) भव
 
(22) ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद , श्वेताश्वतर उपनिषद और इत्यादि उपनिषद , श्री लिङ्ग महापुराण , वामन पुराण , कूर्म पुराण, पद्म पुराण , श्रीमद्भागवत पुराण , ब्रह्मांड पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण , श्रीमद्रामायण , महाभारत , [[शिव पुराण|श्री शिव महापुराण]] , वायुपुराण , अग्नि पुराण , श्री स्कंद महापुराण , [[आगम (हिन्दू)|आगम ग्रंथ]] , (iv) तिरुमुरई
(22) शैव ग्रंथ इस प्रकार हैं:
:(i) श्‍वेताश्वतरा उपनिषद (ii) [[शिव पुराण]] (iii) [[आगम (हिन्दू)|आगम ग्रंथ]] (iv) तिरुमुराई
 
(23) शैव तीर्थ इस प्रकार हैं:
"https://hi.wikipedia.org/wiki/शैव" से प्राप्त