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amrutam अमृतमपत्रिका, गवालिओर मप्र
 
दुनिया के 10 कौनसे रहस्य हैं जिबकी खोज नहीं हुई।
वैज्ञानिक किस रोचक रहस्य से हैरान हैं?..
 
साड़ी प्रथा कितनी पुरानी हैं।
 
केवल ओरतें ही साड़ी क्यों पहनती हैं?...
 
साड़ी कबसे पहनी जा रही है?..
 
साड़ी के बारे में बेहतरीन शायरी कौनसी हैं?...
 
साड़ी की खोज या अविष्कार भारत के किस राज्य में हुआ था?...
 
साड़ी कितने तरह की आती हैं।
 
महिलाएं साड़ी में बहुत खूबसूरत लगती हैं, फिर क्यों नहीं पहनती हैं।
 
भारत का प्राचीन परिधान साड़ी क्यों था?..
 
क्या साड़ी पहनना भी एक कला है?..
 
साड़ी के साथ पेटीकोट क्यों पहनते हैं?..
 
क्या बिना ब्लाउज और पेटीकोट के साड़ी पहनी जा सकती है?..
 
साड़ी किस उम्र में कब पहनी जाती है?..
 
क्या शादी के समय साड़ी पहनना जरूरी रहता है?..
 
सबसे अच्छी साड़ी कहां मिलती है?..
 
साड़ी का अच्छा कपड़ा कौनसा होता है?...
 
साड़ी लम्बी क्यों होती है?..
 
साड़ी कितने मित्र की होना चाहिए?...
 
साड़ी में फॉल क्यों लगाते हैं?...
 
साड़ी के अलावा नारी को कौनसे वस्त्र धारण करना चाहिए?
 
जाने साड़ी का सदियों पुराना इतिहास क्या है?…सदी की 50 प्रवचन पढ़कर खल्लास होने से बचें।
विश्व के 10 ऐसे रहस्य भी बताए जा रहें, जिससे सब अनजान हैं।
इस लेख में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग है, जिसे समझने में साड़ी से ध्यान हटाना पड़ेगा…amrutam
काश तकदीर भी होती साड़ी की तरह।
 
जब-जब बिगड़ती, तब-तब संवार लेते।।
 
साड़ी की उत्पत्ति, खोज कैसे, कब, क्यों हुई। साड़ी पहनना क्यों जरूरी है। साड़ी का अविष्कार पढ़कर चमत्कार से भर जाएंगे…
सर्वप्रथम इतना ज्ञान ग्रहण करें कि नारी शक्ति है, तो पुरुष को सहनशक्ति कहा जाता है।
पत्नी साड़ी की दुकान पर आपके कान पकड़कर ले जाने का उसे पूरा हक है।
बचपन में एक शायद संदेह अलंकार पढ़ा था कि-
सारी बिच नारी है कि-
नारी बिच साड़ी है ….
सारी ही की नारी है, कि
नारी ही की सारी है।
पत्नी को साड़ी दिलाने से कोई नुकसान नहीं होता, बल्कि पति की शान बढ़ती है। साड़ी से काढ़ी में करंट आ जाता है।
साड़ी से ही स्त्री का मान-सम्मान है और साड़ी में ही सारा जहान छुपा है। इस ज्ञान को पाने के लिए हर मर्द आतुर रहता है। यदि ये दान में मिल जाये, तो स्वयं को खुशनसीब समझते हैं। ये वो लोग हैं, जो पान वाले से उधार और पड़ोसन से प्यार करके दम लेते हैं
साड़ी नारी की शोभा है। इसलिए कितनी भी मेहनत-मजदूरी, दिहाड़ी करना पड़े, पत्नी को साड़ी जरूर दिलाएं। इससे आपकी वात-पित्त-कफ तीनों नाड़ियां सन्तुलित रहेंगी। सभी ग्रह अस्त होकर ग्रहस्थ जीवन को सुखमय बनाएंगे।
साड़ी दिलाने के लिए ताड़ी (दारू) छोड़ना पड़े, तो छोड़ दें।
घाटे-नुकसान, अगाड़ी-पिछाड़ी का चिन्तन न करके साड़ी दिलवा देंवें।
नई साड़ी नई गाड़ी और पहाड़ी का प्रवास में स्त्रियों को बहुत खुशी मिलती है।
आदमी अनाड़ी हो, तो महिला कितनी महंगी साड़ी पहन लें, उसका मनोबल मजबूत नहीं रहता।
साड़ी आज पहला भारतीय अंतर्राष्ट्रीय परिधान है। किसी आशिक की कसक है कि-
साड़ी क्यों नहीं पहनती तुम?
पहना करो, अच्छी लगती है।
सूखे-सूखे पत्तों के बीच,
गुलाब की पंखुड़ी लगती हो।।
स्त्री साड़ी में ही सुंदर दिखती है। साड़ी में सन्सार की सारी कायनात है। नारी और सारी कितने प्रकार की होती हैं अभी तक इस पर कोई खोज नहीं हो सकी है।
लाल साड़ी में बिंदी लाल
फिर, काजल लगा लिया है।
आफत है...ये कहर है...
क्यूं इतना सितम ढा रही हो।
 
अगर सही कहें, तो अधिकांश मर्दों को साड़ी बहुत ही अच्छी लगती है। साड़ी की लचक से आदमी लाचार होकर एक तरफा दिल दे बैठता है।
अतः महिलाएं साड़ी पहिने, तो सभी के मन में स्त्री... देवी की कृति बन जाएगी। साड़ी संस्कार-संस्कृति का प्रतीक है।
साड़ी की खोज कब और क्यों हुई। साड़ी का इतिहास किस देश-प्रदेश की अच्छी हैं।
साड़ी की संस्कृति....कसाड़ी स्त्रियों की लाज-लज्जा छुपाने वाला एक सुंदर परिधान है। ध्यान से देखें, तो ज्ञान से भरी सादगीपूर्ण महिलाएं साड़ी में खूबसूरत दिखाई पड़ती है।
साड़ी का श्रीगणेश प्राचीनकाल में महिलाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक साधारण कपड़े से सिंधु घाटी सभ्यता में हुई है, जो उत्तर पश्चिम भारत में 2800-1800 ईसा पूर्व के दौरान अस्तित्व में आई थी।
साड़ी कपास यानि रुई के धागे से निर्मित होती है। इसकी यात्रा कपास से शुरू हुई, जिसकी खेती पहली बार भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 5वीं सहस्राब्दी ईसा पूर्व में की गई थी।
साड़ी पहनने का चलन एशिया देशों में आज भी अधिक है। पारंपरिक रूप से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों में साड़ी को विशेष तरीके पहना जाता है।
खेती पश्चात कपास की बुनाई हुई, जो उस युग के दौरान बड़ी हो गई, क्योंकि बुनकरों ने नील, लाख, लाल मदेर और हल्दी जैसे प्रचलित रंगों का उपयोग करना शुरू कर दिया था, ताकि महिलाओं द्वारा अपनी विनम्रता को छिपाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े का उत्पादन किया जा सके।
साड़ी नाम की उत्पत्ति...साड़ी शब्द 'सातिका' से विकसित हुआ है जिसका अर्थ है महिलाओं की पोशाक, प्राचीन भारत में संस्कृत साहित्य में सातिका एक तीन-टुकड़ा पहनावा था जिसमें शामिल थे-
■ निचला वस्त्र,अंतिया -कंधे या सिर पर पहना जाने वाला घूंघट उत्तरीय -
■ स्तानपट्टा जो एक छाती बैंड है।
साड़ियों कितने तरह की होती हैं....साड़ियां कई तरह की होती हैं। मुख्य रूप से रेशम, कपास, इक्कत, ब्लॉक-प्रिंट, कढ़ाई और टाई-डाई वस्त्रों से बनी विभिन्न प्रकार की क्षेत्रीय हथकरघा साड़ियाँ महिलाओं द्वारा पहनी जाती हैं।
साड़ी का आकार या आयाम....साड़ी एक ऐसा बिना सिला हुआ वस्त्र है, जो महिलाओं के मुख्य अस्त्र को छुपाए रखता है। लंबाई 4.5 से 9 मीटर या 15 से 30 फीट लंबाई और 600 से 1,200 मिमी या चौड़ाई 24 से 47 इंच तक होती है।
धीरे-धीरे रानी-महारानियों, भारत की अमीर महिलाओं ने परिधान में सुंदरता बढ़ाने के उद्देश्य से बुनकरों द्वारा महंगे पत्थरों, सोने के धागों का उपयोग करने के लिए कहना शुरू कर दिया, ताकि वे पुरुषजन के साथ जाकर शादी-विवाह आयोजन में हिस्सा ले सकें।
औद्योगीकरण क्रांति के भारत में प्रवेश के साथ, रसायनिक एवं सिंथेटिक रंगों ने प्रवेश किया।
भारत के निर्माताओं ने अन्य देशों से रासायनिक रंगों का आयात करना शुरू कर रंगाई और छपाई की अज्ञात तकनीकें अपनाइं, जिसने भारतीय साड़ियों को एक नई अकल्पनीय डिजाइन, रंग आदि विविधता प्रदान की।
भारत में विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर कुछ लोकप्रिय सैकड़ों साड़ी प्रकार हैं। 20 ज्यादा प्रसिद्ध हैं।
हिम के आंचल में बनी पट्टू साड़ी-
हिमाचल प्रदेश
मध्य प्रदेश में निर्मित चदेरी, माहेश्वरी साड़ी।
छत्तीसगढ़ की कोसा सिल्क साड़ी।
उत्तर प्रदेश बनारसी की शालू या रेशम बनारसी साड़ी
बंगाल में बनी तांत, बलूचरी कांथा साड़ी।
असम की मूंगा सिल्क
संबलपुरी सिल्क और कॉटन साड़ी।
ओडिसा में तैयार इकत सिल्क और कॉटन साड़ी, बोमकाई साड़ी, कंडुआ सिल्क और कॉटन साड़ी, पासपाली साड़ी।
गुजरात से गुजरी- बंधनी, पटोला!
राजस्थान के रास्ते आई- कोटा डोरिया, बगरू!
महाराष्ट्र की महान- लुगड़े
कर्नाटक की नाटक आदि में पहने जाने वाली--मैसूर सिल्क, सुलेभवी, मोलकलमुरु साड़ी!
तमिलनाडु की तमाम साड़ी सिर चढ़कर बोलती हैं।
कांचीपुरम सिल्क, इल्कल साड़ी,
सेलम सिल्क, कंडांगी, कुरैई,
चेन्नई, कराईकुडी, तिरुचिरापल्ली साड़ी,
नागरकोली साड़ी, थूथुकुडी,
तंजावुर साड़ी, तिरुपुर।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की साड़ी पहनकर तेल लगाना मना है अन्यथा दाग पड़ जाता है।
गडवाल, पोचमपल्ली साड़ी, नारायणपेट, धर्मावरम सिल्क, उप्पदा सिल्क साड़ी, वेंकटगिरी, मंगलगिरी सिल्क्स साड़ी हैं यहां की।
केरल की कला से युक्त-केरल सिल्क, बलरामपुरम, मुंडम नेरियाथुम।
इसके अलावा नारी को जिस जगह की साड़ी पसंद आ जाये , वही उस क्षेत्र की प्रसिद्ध साड़ी है।
उत्तराखंड के पहाड़ी लोग भी साड़ी अच्छी बना लेते हैं, लेकिन पसंद नापसंद नारी के हाथ में है।
हम पूर्ण विश्वास के साथ कह सकते हैं कि नारी के लिए साड़ी भारत का सर्वश्रेष्ठ परिधान है।
साड़ी में दिहाड़ी मजबूर की घरवाली भी खूबसूरत दिखाई देती है।
साड़ी महिला के लाज का प्रतीक है।
साड़ी के परिधान में औरत धन्य-धन्य से परिपूर्ण दिखती है। ताड़ी पीने वाले ज्यादातर शराबी साड़ी सहित स्त्री को पसंद करते हैं। अच्छी साड़ी से आशिकों की नाड़ी में सदभाव पैदा होता है।
किसी गाड़ी में यदि साड़ी पहने कोई बैठा हो, तो मर्दों के मन उसे देखने को करता है।
यह बात अलग है कि पतियों की सारी गाढ़ी कमाई साड़ी खरीदने में व्यय हो जाती है। पति बेचारा जीवन भर कबाड़ी बनकर ही रहता है।
साड़ी बस पहनने का सलीका आना चाहिए, सस्ती साड़ी में भी महिला मद मस्त लगती हैं।
सेक्सी साड़ी अगर कोई स्त्री पहन लें, तो पुरुषजन की काढ़ी यानि लिंग में झुनझुनाहट आने लगती है।
छछोरों ने रंग बिरंगी साड़ियों पर बहुत कटाक्ष किये हैं, जो महिलाओं के मनोबल को बढ़ाते हैं।
नारंगी साड़ी में ये कातिलाना मुस्कान,
क्या सच में लेकर रहोगी मेरी जान।
एक तो काली साड़ी, ऊपर से गालों पर तिल।
 
मोहब्ब्त भी करोगी या फिर मेरा तोड़ोगी दिल।।
 
साड़ी के पल्लू को कमर में,
यूं न सरेआम दबाया करो।
कमर में लचक से ज्यादा,
हमारा तन लचक जाता है।
 
आप जानकर आश्चर्य करेंगे कि सन्सार के 10 ऐसे रहस्य हैं, जिसे आज तक दुनिया के वैज्ञानिकों ने कोई अनुसंधान नहीं किया।
 
साड़ी के रहस्य-साड़ी स्त्रियों की आबरू है लेकिन इसका चाल चलन कैसा होगा यह कोई नहीं बता सकता।
 
नाड़ी के रहस्य-नाड़ी बात पित्र कफ त्रिदोष का ज्ञान नाड़ी परीक्षण कर पाना बहुत ही मुश्किल है।
 
दाढ़ी के रहस्य-दाढ़ी वाले ज्यादातर संत महात्मा होते हैं इनमें कौन संत है कौन असंत या कुकर्मी है इस रहस्य को जान पाना बहुत मुश्किल है।
 
काढ़ी के रहस्य-काढ़ी अर्थात लिंग के रहस्य समझ पाना संभव नहीं है व्यक्ति पुरुषार्थी चरित्रवान है या नहीं।
ताड़ी के रहस्य-ताड़ी अर्थात शराब पीकर आदमी कौन सा रूप धारण करेगा रहस्य ही है।
 
खाड़ी के रहस्य-खाड़ी मैं कितना कड आयल है इसका आकलन रहस्य बना हुआ है।
 
पहाड़ी के रहस्य-अनाड़ी के रहस्य-अनाड़ी जिससे अच्छे बुरे का ज्ञान तथा गति का पता ना हो।
 
कुलाड़ी के रहस्य-कुल्हाड़ी कितनी देर से वृक्ष कटेगी बता पाना रहस्यमई है
गाड़ी सफर में गाड़ी कब चलते चलते बिगड़ जाए या दुर्घटनाग्रस्त हो जाए पता नहीं।
 
गाड़ी के रहस्य- गाड़ी छाले समय खराब हो जाये, पंचर हो हो जाये या दुर्घटना ग्रस्त हो जाये रहस्य ही है।
कबाड़ी के रहस्य- कबाड़ियों के हाथ कभी बहुमूल्य चीजे हाथ लग जाती हैं इणक मुकद्दर का रहस्य का अंत नहीं है।
 
खिलााड़ी के रहस्य- कब कैसा खेलकर जितवा देवे। यह रहस्य बना हुआ है।
देश का दुर्भाग्य…हरआदमी :- रजाई लुगाई और चारपाई में ही उलझा एवं मस्त है।
 
सारा संसार केवल मूत भूत भभूत सबूत और चूत की बातों में समय व्यतीत कर व्यस्त है। चैत्र मास आ रहा है, थोड़ा चेत जाएं, तो खुद भला होगा।
 
कुछ लोग ऐसे भी हैं कि मुफ्त की पोस्ट पढ़ने के बाद भी आनंद नहीं लेते। नकारात्मक टिप्पणी करते हैं। उनको सादर प्रणाम है।
 
भाग्य का भरोसा नहीं…नवम्बर सन 2016 में मोदी की नोटबंदी के बाद प्रवचन कारों की यहां बात असत्य सिद्ध हो गई कि -
शरीर चला जाएगा माया यहीं धरी रह जाएगी……. अब उल्टा हो गया माया चली गई और शरीर यहीं रह गया।
 
{{स्रोतहीन|date=जून 2015}}
[[चित्र:Alka Sari.jpg|अंगूठाकार|356x356पिक्सेल|साड़ी एक सबसे सुंदर पारंपरिक पोशाक है भारतीय। दैनिक दिनचर्या साड़ी में भारत के उत्तर से एक घरेलू भारतीय महिला, अच्छी तरह से बाँधी एवं पहनी हुई]]
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