"यशवंतराव होलकर": अवतरणों में अंतर
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Prathvi9977 (वार्ता | योगदान) महाराजा यशवंत राव होलकर का मृत्यु स्थल भनपुरा से भानपुरा किया जहां तक मेरी समझ है मालवा में यही भानपुरा है जिसका जिक्र उनके मृत्यु स्थल के लिए पहले से लिखा था टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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{{Infobox royalty
|image= Yashwant Rao Holkar I.jpg
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|title =''[[महाराजा]]'' ([[इंदोर
|religion = [[हिन्दू]]
|full name = हिज हाईनेस महाराजाधिराज राज राजेश्वर
|coronation = जनवरी1799
|birth_date = 3 दिसेंबर 1776
|birth_place =[[वाफगांव, पुणे]], [[मराठा साम्राज्य]]<br>(अब [[महाराष्ट्र]], [[भारत]])
|death_date = 28 अक्तूबर1811
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|reign =(as regent. 1799 – 1807)<br> (r. 1807 - 1811)
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इतना महान था वो भारतीय शासक, फिर भी इतिहास के पन्नों में वो कहीं खोया हुआ है। उसके बारे में आज भी बहुत लोगों को जानकारी नहीं है। उसका नाम आज भी लोगों के लिए अनजान है। उस महान शासक का नाम है -
पश्चिम मध्यप्रदेश की मालवा
इस घटना ने यशवंतराव को पूरी तरह से तोड़ दिया था। उनका अपनों पर से विश्वास उठ गया। इसके बाद उन्होंने खुद को मजबूत करना शुरू कर दिया। ये अपने काम में काफी होशियार और बहादुर थे। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1802 ई. में इन्होंने पुणे के पेशवा बाजीराव द्वितीय व सिंधिया की मिलीजुली सेना को मात दी और इंदौर वापस आ गए।
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इसके बाद पूरा मामला फिर से बिगड़ गया। यशवंतराव ने हल्ला बोल दिया और अंग्रेजों को अकेले दम पर मात देने की पूरी तैयारी में जुट गए। इसके लिए उन्होंने भानपुर में गोला बारूद का कारखाना खोला। इसबार उन्होंने अंग्रेजों को खदेड़ने की ठान ली थी। इसलिए दिन-रात मेहनत करने में जुट गए थे। लगातार मेहनत करने के कारण उनका स्वास्थ्य भी गिरने लगा। लेकिन उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया और 28 अक्टूबर 1811 ई. में सिर्फ 35 साल की उम्र में वे स्वर्ग सिधार गए।
इस तरह से एक महान शासक का अंत हो गया। एक ऐसे शासक का जिसपर अंग्रेज कभी अधिकार नहीं जमा सके। एक ऐसे शासक का जिन्होंने अपनी छोटी उम्र को जंग के मैदान में झोंक दिया। यदि भारतीय शासकों ने उनका साथ दिया होता तो शायद तस्वीर कुछ और होती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और एक महान शासक
== संदर्भ ग्रंथ ==
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