"स्वराज": अवतरणों में अंतर

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गाँधी का मानना था कि इस प्रकार के संघ के प्रबन्ध व संपोषण के लिए सरकार आवश्यक होगी। अतः एक आधुनिक आलोचक का मत है कि गाँधी का आदर्श समाज से तात्पर्य मुख्यतः अहिंसक राज्य था, न कि अहिंसात्मक, राज्यविहीन समाज। दूसरी ओर आबिद हुसैन का मत है कि गाँधी का राम राज्य पूर्ण अराजकतावादी राज्यविहीन समाज है, जो नैतिक कानून द्वारा शासित है। इस प्रकार के अहिंसक समाज में शान्ति-व्यवस्था प्रेम की शक्ति या सत्याग्रह के रूप में आत्मबल द्वारा स्थापित होगी। गाँधी के अनुसार सत्याग्रह व्यक्तियों, वर्गों तथा राष्ट्रों के मध्य शोषण तथा दमन का प्रतिरोध करने का प्रभावपूर्ण यंत्र है।
 
गाँधी का मत था कि राज्यविहीन तथा वर्गविहीन अहिंसक समाज की स्थापना का लक्ष्य सहज रूप से प्राप्त नहीं होगा। अतः राज्य को तत्काल समाप्त करना ठीक है। फलतः उनका लक्ष्य राज्य को अहिंसा के सिद्धांतो के अनुरूप ढालना है। अहिंसक राज्य में सामाजिक व्यवहार को नियमित करने हेतु एक प्रकार की सरकार तथा राजनीतिक सत्ता होगी, किन्तु वह कम से कम शासन करेगी, क्योंकि सामाजिक जीवन आत्म नियमित होगा। व्यक्ति को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त होगी। अधिकांश कार्य स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा सम्पन्न होंगे। गाँधी के ये विचार रसेल, जी0डी0एच0 कोल जैसे गिल्ड समाजवादियों से मिलते-जुलते हैं। Thanks
 
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