"भ्रमासक्ति": अवतरणों में अंतर

कन्फ्यूजन क्या होता है?..
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amrutam अमृतम पत्रिका ग्वालियर
 
वहम को कैसे दूर करें?..
 
भय-भ्रम भटकाव से होने वाले नुकसान से बचने का सरल उपाय क्या है?वहम के बारे में ये 33 काम की रोचकता पूर्ण बातें, आपको लातें खाने से और भ्रम से रक्षा करेंगी..
 
# वहम की कोई तिथि, वार, काल, समय निर्धारित नहीं है। यह कभी भी हो सकता है।
# कलयुग नाम ही भय-भ्रम-वहम का है।
# दुनिया में अब वहम का दायरा दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है। फिलहाल इससे बचने का सटीक उपाय अंधकार में है।
# सतयुग में था ब्रह्म का काल…कठोउपनिषद में वर्णन है कि- सतयुग में ब्रह्म का दौर था। उस युग में लोग इतने तपस्वी थे कि अपने ध्यान योग की शक्ति से कुछ भी हासिल कर लेते थे।
# ब्रह्म को बुलाना, उनके दर्शन सतयुग में सहज था। हिरण्यकश्यप को तो भगवान विष्णु नृसिंग अवतार लेकर वध किया था।सतयुग में अपनी इच्छानुसार कहीं भी आ जा सकते थे।
# सभी साधक ध्यान साधना द्वारा शरीर को इतना हल्का और सूक्ष्म बना लेते थे कि बिना साधन या विमान के क्षण में पहुंच जाते थे।
# सतयुग में कभी किसी को कोई रोग नहीं होते थे। इच्छा मृत्यु से ही मरते थे।
# अब आया त्रेता युग में धर्म का दौर…ईश्वरोउपनिषद के हिसाब से इस युग में लोग बहुत अधिक धार्मिक होते थे। सिवाय शिव भक्ति के इणक पास कोई काम नहीं था।
# एक वर्ष में 200 दिन से भी अधिक के लिए ये अन्न त्याग कर देते थे। धर्म ही त्रेता युग में सब कुछ था।
# कर्मयुग था द्वापर युग में…. श्रीमद भागवत गीता को गहराई से पढ़ें, तो ज्ञात होगा कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने केवल कर्म पर जोर दिया।
# कर्म के महत्व को सबने समझस।महाभारत का युद्ध भी कर्म के चलते हुए। इस युग में सब कुछ कर्म आधारीय था। इसी युग से यन्त्र का अविष्कार आरम्भ हुआ।
# अब कलियुग है- यह भ्रम का दौर है…कलियुग में आप हर क्षेत्र में वह फैलाया जा रहा है। जहां देखूँ धन की लालसा में ज्ञानी, पण्डित, कथावाचक, ज्योतिषी आदि मात्र धन-सम्पदा बढ़ाने के लिए भ्रम या वह फेल रहे हैं।
# व्यापार भी भ्रम-वह फैलाकर ही हो रहा है। कलियुग में लोगों का ईश्वर के प्रति केवल स्वार्थ की भक्ति रह गई है।अधर्म बढ़ रहा है।
# पाप-पुण्य, सत्य से लोग विमुख हो चुके हैं।खाने-पीने से लेकर स्त्री-पुरुष के चरित्र में भयंकर मिलावट बढ़ती जा रही है।
# बिना आधार, सन्दर्भ रहित जानकारियां गूगल पर भरी पड़ी हैं। इससे लोग बीमार हो रहे हैं। मन अशांत हैं।
# ब्रह्म-धर्म-कर्म का कलियुग में केवल दिखावा रह गया है।सीधे-सच्चे, ईमानदार लोगों की पूछ-परख कम होती जा रही है।
# आपसी विश्वास, भरोसा, अपनापन खत्म हो गया है।हर बात में घात की बू आ रही है।
# विश्वासघात एक परम्परा बन चुकी है।
# प्यार में धोखा, वेबफाई अब आम बात है।
# हर चीज का मूल्य है। लेकिन समृद्ध सम्पन्न को नाचीज़ समझा जा रहा है।
# चारो तरफ दिखावे के अलावा कुछ भी नहीं है।
# कलियुग में वह के चलते मोह-माया, लवभ में फंस रहे हैं।
# वेद-पुराण, धार्मिक ग्रन्थों की ज्ञानवर्धक सूक्तियों का कोई महत्व नहीं शेष रह।हरेक व्यक्ति स्वच्छंद हो रहा है।
# मस्तिष्क की स्वच्छता मिटती जा रही है।लोगों के मन मे द्वेष-दुर्भावना जैसे असाध्य विकारों ने जगह बना ली है।कलियुग में आदमी रहम-दया करने में भी वह कर रहा है।
# बिना टेम खा रहा है। अब शेम वाली बात नहीं रही।
# कलियुग में ऑनलाइन गेम का प्रभाव बढ़ गया है।
# जेम जैसा केमिकल युक्त पदार्थ केवल स्वाद की वजह से खाकर इंसान बीमार पड़ रहा है।
# हर कोई नेम के लिए मरा जा रहा है।
# वहम से बचने के लिए करें ये उपाय…कलियुग में सम्पूर्ण वह से बचाव के लिए केवल भगवान शिवकल्यानेश्वर की उपासना करें। !!ॐ शम्भूतेजसे नमःशिवाय!!
# भोले नाथ का यह मन्त्र आपमें तेज, अग्नि देकर पंचमहाभूतों की देह में स्थापना करेगा। बिना लाभ-हानि के इसजे 24 घण्टे जपते रहने की आदत बना लें, तो कुछ मनोबल बढ़ सकता है।
# वहम अंधकार, अज्ञानता और अहंकार से पैदा होता है।वहम से मुक्ति के लिए नियमित एक दीपक सुबह-शाम राहु की तेल का जलाएं।
# सुबह खाने में पुलाव छोड़कर, … मङ्गल व कल्याण के भाव रखें। इसी से आपका प्रभाव बढ़ेगा और अभाव मिटेगा। ताव यानी क्रोध आना क्षीण होगा। मन के घाव भरेंगे।
# वहम रूपी तनाव की नाव से बाहर निकल सकेंगे।बिना स्नान के बिस्कुट, अन्न आदि ग्रहण न करें।
 
 
ऐसी आस्था या विचार को '''भ्रमासक्ति''' (Delusion) कहा जाता है जिसे गलत होने का ठोस प्रमाण होने के वावजूद भी व्यक्ति उसे नहीं छोड़ता। यह उस आस्था से अलग है जिसे व्यक्ति गलत सूचना, अज्ञान, कट्टरपन आदि के कारण पकड़े रहता है।