"सौर पवन": अवतरणों में अंतर

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सौर वायु के आश्चर्यजनक दृश्यों में ऑरोरे (उत्तरी रोशनी और दक्षिणी रोशनी) नामक भूचुम्बकीय तूफान (जियोमेग्नेटिक स्टॉर्म्स) होते हैं जो कई बार [[विद्युत]] आपूर्ति ग्रिड को हानि भी पहुंचाते हैं। अंतरिक्ष में भ्रमण करते [[उपग्रह|उपग्रहों]] एवं एस्ट्रोनॉट्स को भी इनसे खतरा होता है। सूर्य से ६.७ अरब टन सौर वायु प्रति घंटा की दर से बाहर निकलती है। अंतरिक्ष की असीमित दूरियों के सापेक्ष ये मात्रा नगण्य होती है। २३-२४ मई २००५ को [[संयुक्त राज्य अमरीका|अमरीकी]] [[अंतरिक्ष यान]] [[वोयेजर प्रथम]] इस सौर वायु के कारण ''[[टर्मिनेशन शॉक]]'' तक पहुंच गया था। उससे भेजे गए आंकड़ों से वैज्ञानिकों को यह अनुमान लगा था कि सौर वायु स्थानीय अंतरिक्ष वातावरण में अधिक बड़ी शक्ति नहीं होती है।
 
==संबंधित अंतरिक्ष यान==
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी [[नासा]] के द्वारा कुछ समय से लगातार सिमटती जा रही सौर वायु के अध्ययन हेतु [[इंटरस्टेल्लर बाउंड्री एक्सप्लोरर]] ([[आईबेक्स]]) नामक एक अंतरिक्ष यान छोड़ा गया है।<ref name="दैट्स">[[http://thatshindi.oneindia.in/news/2008/10/20/200810292490100.html सोलर विंड के अध्ययन के लिए नासा ने छोड़ा यान]।दैट्स हिन्दी।२० अक्तूबर, २००८।समाचार एजेंसी डीपीए </ref> यह यान सौर वायु के बारे में जानकारी प्राप्त करेगा जो विभिन्न ग्रहों की ब्रह्माण्डीय किरणों से सुरक्षा करती है। अगले दो वर्षो तक आईबेक्स द्वारा सौर प्रणाली और अंतरतारकीय आकाश के बारे में गहन जानकारी और उसके चित्र भी मिलते रहेंगे। सौर प्रणाली और अंतरतारकीय क्षेत्र की यह सीमा अति महत्वपूर्ण है क्योंकि वह विभिन्न हानिकारक किरणों से सुरक्षा करती है। यदि इसके अभाव में वे किरणें धरती तक पहुंच जाएं तो उससे काफी नुकसान पहुंच सकता है।
==संदर्भ==