"रमज़ान": अवतरणों में अंतर
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[[File:هلال رمضان.jpg|thumb|रमज़ान का चंद्रमा]]
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; इस माह की विशेषताएँ
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इत्यादी को प्रमुख माना जाता है। कुल मिलाकार पुण्य कार्य करने को प्राधान्यता दी जाती है। इसी लिये इस माह को नेकियों और इबादतों का महीना यानी पुण्य और उपासना का माह माना जाता है।<ref>{{Cite web|url=https://hindi.webdunia.com/ramadan/happy-ramazan-2016-116060600059_1.html|title=रमज़ान की विशेषता|last=|first=|date=|website=Hindi Webdunia|archive-url=https://web.archive.org/web/20170917000453/http://hindi.webdunia.com/ramadan/happy-ramazan-2016-116060600059_1.html|archive-date=17 सितंबर 2017|dead-url=|access-date=|url-status=dead}}</ref>
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मुसलमानों के विश्वास के अनुसार इस महीने की २७वीं रात [[शब-ए-क़द्र]] को कुरान का नुज़ूल (अवतरण) हुआ। इसी लिये, इस महीने में क़ुरान को अधिक पढ़ना पुण्यकार्य माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान का पठन किया जाता है। जिस से कुरान पढ़ना न आने वालों को कुरान सुनने का अवसर अवश्य मिलता है।<ref>{{Cite web|url=https://khabar.ndtv.com/news/faith/shab-e-barat-2020-date-importance-significance-in-islam-know-all-the-facts-2207664|title=रमज़ान और कुरान|last=|first=|date=|website=NDTV Hindi|archive-url=https://web.archive.org/web/20200417072518/https://khabar.ndtv.com/news/faith/shab-e-barat-2020-date-importance-significance-in-islam-know-all-the-facts-2207664|archive-date=17 अप्रैल 2020|dead-url=|access-date=|url-status=dead}}</ref>
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==रमज़ान और उपवास (रोज़ा)==
उपवास के दिन सूर्योदय से पहले कुछ खालेते हैं जिसे सहरी कहते हैं। दिन भर न कुछ खाते हैं न पीते हैं। शाम को सूर्यास्तमय के बाद रोज़ा खोल कर खाते हैं जिसे इफ़्तारी कहते हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.bbc.com/hindi/india-44168440|title=रमज़ान में रोज़ा रखने से शरीर पर क्या पड़ता है असर?|last=|first=|date=|website=BBC Hindi|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
==रमज़ान और इत्यादी बातें==
मुस्लिम समुदाय में
* रमज़ान को नेकियों या पुन्यकार्यों का मौसम-ए-बहार (बसंत) कहा गया है।
* यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है। इस महीने में रोजादार को इफ्तार कराने वाले के गुनाह माफ हो जाते हैं। पैगम्बर मोहम्मद सल्ल. से आपके किसीसहाबी (साथी) ने पूछा- अगर हममें से किसी के पास इतनी गुंजाइश न हो क्या करें। तो [[मुहम्मद|हज़रत मुहम्मद]] ने जवाब दिया कि एक खजूर या पानी से ही इफ्तार करा दिया जाए।
* यह महीना मुस्तहिक लोगों की मदद करने का महीना है। रमजान के तअल्लुक से हमें बेशुमार हदीसें मिलती हैं और हम पढ़ते और सुनते रहते हैं लेकिन क्या हम इस पर अमल भी करते हैं। ईमानदारी के साथ हम अपना जायजा लें कि क्या वाकई हम लोग मोहताजों और नादार लोगों की वैसी ही मदद करते हैं जैसी करनी चाहिए? सिर्फ सदकए फित्र देकर हम यह समझते हैं कि हमने अपना हक अदा कर दिया है।
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