"नमाज़": अवतरणों में अंतर

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[[नमाज़ ए-जनाज़ा|नमाज]] पढ़ने के पहले प्रत्येक मुसलमान वज़ू करता है अर्थात् दोनों हाथो को टक्नो सहित धोना, कुल्ली करना, नाक साफ करना, [[चेहरा]] धोना, कुहनियों तक हाथ का धोना, सर के बालों पर भीगा हाथ फेरना और दोनों पैरों को धोना। फ़र्ज़ नमाज के लिए "अज़ान" दी जाती है। नमाज तथा अज़ान के बीच में लगभग कुछ मिनटों का अंतर होता है।<ref>{{Cite web|url=http://hindi.webdunia.com/eid-special/नमाज़-का-असल-मकसद-114070200058_1.htm|title=नमाज़ का असल मकसद|last=WD|website=hindi.webdunia.com|language=hi|access-date=2020-12-20}}</ref>
 
उर्दू में [[अज़ान]] का अर्थ (पुकार) है। नमाज के पहले अज़ान इसीलिए दी जाती है कि आस-पास के मुसलमानों को नमाज की सूचना मिल जाए और वे सांसारिक कार्यों को छोड़कर कुछ मिनटों के लिए मस्जिद या अपने घर में खुदा की इबादत करने के लिए आ जाएँ। सुन्नत/नफ्ल नमाज अकेले पढ़ी जाती है और फ़र्ज़ समूह (जमाअत) के साथ। फ़र्ज़ नमाज साथ मिलकर (जमाअत) के साथ पढ़ी जाती है उसमें एक मनुष्य (इमाम) आगे खड़ा हो जाता है, जिसे [[इमाम]] कहते हैं और बचे लोग पंक्ति बाँधकर पीछे खड़े हो जाते हैं। इमाम नमाज पढ़ाता है और अन्य लोग उसका अनुसरण करते हैं।
 
नमाज पढ़ने के लिए मुसलमान मक्का (किबला) की ओर मुख करके खड़ा हो जाता है, नमाज की इच्छा इरादा करता है और फिर "अल्लाह हो अकबर" कहकर तकबीर कहता है। इसके बाद दोनों हाथों को कानों तक उठाकर नाभि के करीब इस तरह बाँध लेता है कि दायां हाथ बाएं हाथ पर। वह बड़े सम्मान से खड़ा होता है उसकी नज़र सामने ज़मीन पर होती हैं। वह समझता है कि वह खुदा के सामने खड़ा है और खुदा उसे देख रहा है।
 
कुछ [[दुआ]] पढ़ता है और [[क़ुरआन|कुरान]] शरीफ से कुछ तिलावत करता है, जिसमें फातिह: (कुरान शरीफ की पहली सूरह) का पढ़ना आवश्यक है। इसके बाद अन्य सूरह । कभी उच्च तथा कभी मद्धिम स्वर से पढ़े जाते हैं। इसके बाद वह झुकता है जिसे '''रुक़ू''' कहते हैं, फिर खड़ा होता है जिसे '''क़ौमा''' कहते है, फिर '''[[सजदा तेरे प्यार में|सजदा]]''' में सर झुकाता है। कुछ क्षणों के बाद वह घुटनों के बल बैठता है और फिर सिजदा में सर झुकाता है। फिर कुछ देर के बाद खड़ा हो जाता है। इन सब कार्यों के बीच-बीच वह छोटी-छोटी दुआएँ भी पढ़ता जाता है, जिनमें अल्लाह की प्रशंसा होती है। इस प्रकार नमाज की एक '''रकअत''' समाप्त होती है। फिर दूसरी रकअत इसी प्रकार पढ़ता है और सिजदा के उपरांत घुटनों के बल बैठ जाता है। फिर पहले दाईं ओर सलाम फेरता है और तब बाईं ओर। इसके बाद वह अल्लाह से हाथ उठाकर दुआ माँगता है और इस प्रकार नमाज़ की दो रकअत पूरी करता है अधिकतर नमाजें दो रकअत करके पढ़ी जाती हैं और कभी-कभी चार रकअतों की भी नमाज़ पढ़ी जाती है। वित्र नमाज तीन रकअतो की पढ़ी जाती है। सभी नमाज पढ़ने का तरीका कम अधिक यही है।
 
== नमाज़ों की अहमियत ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/नमाज़" से प्राप्त