"रत्नागिरि": अवतरणों में अंतर
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इस किले का निर्माण बहमनी काल में हुआ था। यह बाद में आदिल शाह के कब्जे में आ गया। 1670 ई. में राजा शिवाजी महाराज ने इस किले पर कब्जा कर लिया। 1761 ई. तक इस किले पर सदाशिव राव भाऊ का अधिकार था। 1790 ई. में धुंधु भास्कर प्रतिनिधि ने इस किले की मरम्मत करवाई और इसके प्राचीरों का मजबूत किया। यह किला घोड़े की नाल के आकार में है। इसकी लंबाई 1300 मीटर तथा चौड़ाई 1000 मीटर है। यह किला तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है। इस किले का एक बुर्ज ''सिद्धा बुर्ज' लाइट हाउस के रूप में काम करता था। ''इस किले में देवी भगवती का एक बहुत ही आकर्षक मंदिर है। इस किले के ३ दिशा में समुन्दर का खारा पानी होने बावजुद किले के कुऐ में मधुए पानी मिलता है।
== गणपतीपुले े ==
यह बीचों के लिए प्रसिद्ध है। यह रत्नागिरी से 2५ किलोमीटर स्थित है। यहां भगवान गणेश का एक प्रसिद्ध स्वयंभु मंदिर भी है। यहाँ मान्यता है कि जो भी भक्त बडी श्रद्धा से गणेशजीका दर्शन करते है तो गणेशजी उनकी मनोकामना पूर्ण करते है।
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