"पुनर्जागरण": अवतरणों में अंतर

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'''पुनर्जागरण''' यूरोप में एक सामाजिक - सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में आरंभ हुआ , इसलिए इसे मध्यकाल के बीच एक सांस्कृतिक सेतू के रूप में देखा जाता है । पुनर्जागरण के माध्यम से सभ्यता ,संस्कृति, एवं इल्म का नया स्वरूप सामने आया । ''''वस्तुतः 14वीं से 16वीं सदी के बीच यूरोप में एक नवीन चेतना का विकास हुआ ,'''जिसे पुनर्जागरण के नाम से जाना गया । पुनर्जागरण के भिन्न भिन्न अर्थ दिए गए है ,जैसे पुनर्जन्म , बौद्धिक जागरण ,पुनरुत्थान , सांस्क़ृतिक जागरण ,सांस्कृतिक नवजागरण आदि ।
वास्तव में पुनर्जागरण का अंग्रेजी पर्याय 'रिनेशाँ' (Rinaissance) फ्रांसीसी शब्द है , जिसका अर्थ है 'पुनर्जन्म या फिर से जागना ' ध्यान रहे ये कोई सोये हुए व्यक्ति की नींद से जागना नही है , अपितु काल विशेष में समस्त मानव समाज का चेतना सम्पन्न होना हैहै। । वसीम हसन के अनुसार :-
वसीम हसन (अड़बर मेवाती) के अनुसार :-पुनर्जागरण सामाजिक सुधार और आधुनिक चेतना सम्पन्न एक महत्वपूर्ण कालखंड का पर्याय है । पुनर्जागरण के मूल में 'धार्मिक सुधार ,वैज्ञानिक विचार और आधुनिक चिंतन का मौलिक समन्वय है ।
 
पुनर्जागरण वह आन्दोलन था जिसके द्वारा पश्चिम के राष्ट्र मध्ययुग से निकलकर आधुनिक युग के विचार और जीवन-शैली अपनाने लगे. यूरोप के निवासियों ने भौगोलिक, व्यापारिक, सामजिक तथा आध्यात्मिक क्षेत्रों में प्रगति की. इस युग में लोगों ने मध्यकालीन संकीर्णता छोड़कर स्वयं को नयी खोजों, नवीनतम विचारों तथा सामाजिक, सांस्कृतिक एवं बौद्धिक उन्नति से सुसज्जित किया. प्रत्येक क्षेत्र में सर्वथा नवीन दृष्टिकोण, आदर्श और आशा का संचार हुआ. साहित्य, कला, दर्शन, विज्ञान, वाणिज्य-व्यवसाय, समाज और राजनीति पर से धर्म का प्रभाव समाप्त हो गया. इस प्रकार पुनर्जागरण उस बौद्धिक आन्दोलन का नाम है जिसने [[रोम]] और यूनान की प्राचीन सभ्यता-संस्कृति का पुनरुद्धार कर नयी चेतना को जन्म दिया।