"जनजाति": अवतरणों में अंतर
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== भारतीय जनजातियाँ ==
[[भारत]] की कुल [[जनगणना]] में [[आदिवासी]] ८.६१% है,<ref>{{Cite web |url=http://tribesindia.com/index.php?option=com_content&view=article&id=894&Itemid=124&lang=en |title=संग्रहीत प्रति |access-date=18 फ़रवरी 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160224223805/http://tribesindia.com/index.php?option=com_content&view=article&id=894&Itemid=124&lang=en |archive-date=24 फ़रवरी 2016 |url-status=dead }}</ref>। प्रजातीय आधार पर भारतीय कबीलों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम श्रेणी में मंगोलीय मूल के नागा, कूकी, गारो तथा असमी कबीले या अल्मोड़ा जिले के भोटिया आदि कबीले आते हैं। दूसरी श्रेणी के अंतर्गत मुंडा, संथाल, कोरवा आदि पुरा-ऑस्ट्रेलीय कबीले और तीसरी श्रेणी में विशुद्ध आर्य मूल के निचले हिमालयवासी खस कबीले या हिंद-आर्य-रक्त की प्रधानता लिए किंतु मिश्रित प्रकार के भील आदि कबीले रखे जा सकते हैं। भाषाशास्त्रीय दृष्टि से भारतीय कबीलों का वर्गीकरण तीन पृथक भाषापरिवार के समूहों में किया जा सकता है। ये समूह क्रमश: मुंडा, तिब्बती-बर्मी और द्रविड़ भाषापरिवारों के हैं। कुछ कबीले अपनी मूल बोली त्यागकर हिंदी बोलने लगे हैं। कुछ मुंडा कबीले इस श्रेणी में आते हैं। मूल रूप से मुंडा भाषापरिवार की बोली बोलनेवाले गुजरात के भीलों ने भी अपने अधिवासानुसार गुजराती या मराठी अपना ली है। निश्चित भौगोलिक सीमाओं में बसे इन कबीलों के अतिरिक्त नट, भाँटू, साँसी, करवाल और कंजर आदि ऐसे खानाबदोश
(1) सांस्कृतिक दृष्टि से ग्राम्य व नगरसमूहों से दूर कबीले, अर्थात् वे जो प्राय: संपर्कविहीन हैं,
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*(2) अंशत: अपविर्जत क्षेत्र।
सन् 1935 के रक्षात्मक उपायों द्वारा कबीली जनसंख्या में सुधार की चेष्टा की गई। नवीन
== संवैधानिक स्थिति ==
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*[[ भील]]
*[[ मीणा]]
*[[ नागा]]
*[[ गोंड]]
*[[ खांसी ]]
*[[ कौल (उपनाम)|कोल ]]
*[[ गरासिया]]
*[[ भूमिज]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
*[https://www.kailasheducation.com/2019/07/janjati-ki-samasya.html भारतीय जनजााति की समस्याएं]
*[https://web.archive.org/web/20130715025855/http://samvad.net/samvad-archieves-janjatiya%20jivan.htm झारखण्ड का जनजातीय जीवन]
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