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{{एक स्रोत|date=अप्रैल 2020}}
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[[रसायन विज्ञान]] और [[भौतिक शास्त्र|भौतिक विज्ञान]] में '''पदार्थ''' (matter) उसे कहते हैं जो स्थान घेरता है व जिसमे [[द्रव्यमान]] (mass) होता है। पदार्थ और [[ऊर्जा]] दो अलग-अलग वस्तुएं हैं। [[विज्ञान]] के आरम्भिक विकास के दिनों में ऐसा माना जाता था कि पदार्थ न तो उत्पन्न किया जा सकता है, न नष्ट ही किया जा सकता है, अर्थात् पदार्थ अविनाशी है। इसे [[द्रव्य की अविनाशिता का नियम|पदार्थ की अविनाशिता का नियम]] कहा जाता था। किन्तु अब यह स्थापित हो गया है कि पदार्थ और [[ऊर्जा]] का परस्पर परिवर्तन सम्भव है। यह परिवर्तन [[अल्बर्ट आइंस्टीन|आइन्स्टीन]] के प्रसिद्ध समीकरण '''E=m*c<su ''' के अनुसार होता है।
[[रसायन विज्ञान]] और [[भौतिक शास्त्र|भौतिक विज्ञान]] में जय प्रकाश सर के अनुसार
'''पदार्थ''' (matter) उसे कहते हैं जो स्थान घेरता है व जिसमे [[द्रव्यमान]] (mass) होता है। पदार्थ और [[ऊर्जा]] दो अलग-अलग वस्तुएं हैं। [[विज्ञान]] के आरम्भिक विकास के दिनों में ऐसा माना जाता था कि पदार्थ न तो उत्पन्न किया जा सकता है, न नष्ट ही किया जा सकता है, अर्थात् पदार्थ अविनाशी है। इसे [[द्रव्य की अविनाशिता का नियम|पदार्थ की अविनाशिता का नियम]] कहा जाता था। किन्तु अब यह स्थापित हो गया है कि पदार्थ और [[ऊर्जा]] का परस्पर परिवर्तन सम्भव है। यह परिवर्तन [[अल्बर्ट आइंस्टीन|आइन्स्टीन]] के प्रसिद्ध समीकरण '''E=m*c<su ''' के अनुसार होता है।
पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती हैं।
पदार्थ की मुख्य अवस्थाएं हैं - [[ठोस]], [[द्रव]] तथा [[गैस]]। इसके अतिरिक्त कुछ विशेष परिस्थितियों में पदार्थ [[प्लाज़्मा (भौतिकी)|प्लाज्मा]], अतितरल