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{{हिंदू शास्त्र और ग्रंथ}}
'''वैशेषिकसूत्र''' [[कणाद]] मुनि द्वारा रचित [[वैशेषिक दर्शन]] का मुख्य ग्रन्थ है। इस पर अनेक टीकाएं लिखी गयीं जिसमें [[प्रशस्तपाद]] द्वारा रचित '''पदार्थधर्मसंग्रहपदार्थधर्मसङ्ग्रह''' प्रसिद्ध है। कणाद ने वैशेषिकसूत्र में द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष और समवाय नामक छः पदार्थों का निर्देश किया है। बाद में [[प्रशस्तपाद]] प्रभृति भाष्यकारों ने प्रायः कणाद के मन्तव्य का अनुसरण करते हुए पदार्थों का विश्लेषण किया।
 
वैशेषिकसूत्र में दस अध्याय हैं। प्रत्येक अध्याय में दो आहितिक हैं। इसमें कुल ३७० [[सूत्र]] हैं।
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
==इन्हें भी देखें==
* [[वैशेषिक दर्शन]]
 
[[श्रेणी:संस्कृत ग्रन्थ]]