"हरिलाल मोहनदास गांधी": अवतरणों में अंतर

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18 जून की उम्र में गांधी की मृत्यु के बाद चार महीनों के बाद [[तपेदिक]] से हरिलाल की मृत्यु हो गई। अल्कोहल होने के कारण उन्हें जिगर की बीमारी और संभवतः सिफलिस द्वारा रैक किया गया। हरिलाल का मृत्यु प्रमाण पत्र वाकोला में बीएमसी के अभिलेखागार में संरक्षित है। 18 जून 1948 को मृत्यु के समय के रूप में 8 बजे उल्लेख किया गया है। दस्तावेज़ पर किसी भी परिवार के सदस्यों का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन यह पता चलता है कि कामथिपुरा में बेहोश होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।<ref>{{cite web|last1=Mishra|first1=Lata|title=OLD HOSPITAL RECORDS REVEAL LONELY DEATH OF GANDHI'S SON|url=http://mumbaimirror.indiatimes.com/mumbai/other/Old-hospital-records-reveal-lonely-death-of-Gandhis-son/articleshow/17863394.cms|publisher=Mumbai Mirror|accessdate=5 February 2017|archive-url=https://web.archive.org/web/20170206111959/http://mumbaimirror.indiatimes.com/mumbai/other/Old-hospital-records-reveal-lonely-death-of-Gandhis-son/articleshow/17863394.cms|archive-date=6 फ़रवरी 2017|url-status=live}}</ref>
 
==सन्दर्भ== अप्रमाणित
महात्मा गांधी के पुत्र हरिलाल गाँधी ने 27 जून 1936 को नागपुर में इस्लाम कबूल किया था और 29 जून 1936 को मुंबई में इसकी सार्वजनिक घोषणा किया कि वो हरिलाल गाँधी से अब्दुल्लाह बन गया है।
 
1 जुलाई 1936 को जकारिया ने अब्दुल्लाह के घर की बैठक में बैठे हुए रोष भरे शब्दों में कहा- अब्दुल्लाह,
यह मैं क्या सुन रहा हूँ कि तुम्हारी यह सात साल की छोकरी आर्य समाज मंदिर में हवन करने जाती है?’’’’अप्रमाणित
यह अब तक मुस्लिम क्यों नहीं बनी ?
इसे भी बनाइए, यदि इसे मुस्लिम नहीं बनाया गया तो इसका तुमसे कुछ भी संबंध नहीं है।’
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जकारिया ने अब्दुल्लाह की मासूम बेटी मनु जो उस समय सात साल की थी, उसकी ओर मुखातिब होकर कहा, तुम इस्लाम क्यों नही कबूल करोगी ?
 
यदि तुम इस्लाम कबूल नहीं करोगी तो तुम्हें मुंबई की चैपाटी पर नंगी करके तुम्हारी बोटी-बोटी करके चील और कव्वों को खिला दी जाएगी।जाएगी।अप्रमाणित
 
फिर वे अब्दुल्लाह( हरिलाल) को चेतावनी देने लगा – ए अब्दुल्ला काफिर लड़कियां और औरतें अल्लाह की और मुस्लिमों को दी गई नेमतें हैं…देखो यदि तुम्हारी बेटी इस्लाम कबूल नहीं करेगी तो तुम्हें इसको रखैल समझकर भोग करने का पूरा हक है।
क्योंकि जो माली पेड़ लगाता है उसे फल खाने का भी अधिकार है। यदि तुमने ऐसा नहीं किया तो हम ही इस फल को चौराहे पर सामूहिक रूप से चखेंगे।
अप्रमाणित
 
हमें हर हाल में हिन्दुस्तान को मुस्लिम देश बनाना है और पहले हम लोहे को लोहे से ही काटना चाहते हैं। कहकर वह चला गया था ।।।।अप्रमाणित
 
और उसी रात अब्दुल्लाह ने अपनी नाबालिग बेटी की नथ तोड़ डाली थी (अर्थात अपनी हब्स का शिकार बनाआ)। बेटी के लिए पिता भगवान होता है,लेकिन यहां तो बेटी के लिए पिता शैतान बन गया था। मनु को कई दिन तक रक्तस्राव होता रहा और उसे डाॅक्टर से इलाज तक करवाना पड़ा।
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जब मनु पीड़ा से कराहने लगी तो उसने अपने दादा महात्मा गांधी को खत लिखा, जो बापू के नाम से सारी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुका था। लेकिन बापू ने साफ कह दिया कि इसमें मैं क्या कर सकता हूं ?
 
इसके बाद मनु ने अपनी दादी कस्तूरबा को खत लिखा।खत पढ़कर दादी बा की रूह कांप गई। फूल सी पौती के साथ यह कुकर्म…और वह भी पिता द्वारा…?अप्रमाणित
 
बा ने 27 सितंबर 1936 को अपने बेटे अब्दुल्लाह को पत्र लिखा और बेटी के साथ कुकर्म न करने की अपील की और साथ ही पूछा कि तुमने धर्म क्यों बदल लिया ? और गोमांस क्यों खाने लगे ?