"अभिकेन्द्रीय बल": अवतरणों में अंतर

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{{आधार}} जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार मार्ग पर चलती है, तो उस पर कोई एक वृत्त के केंद्र पर बल कार्य करता है, इस बल को अभिकेंद्रीय बल कहते हैं।
{{आधार}}THE GREAT VINAY RAWAT(@VINAYRAWAT944) (DATIA) KE ANUSAAR :-
जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार मार्ग पर चलती है, तो उस पर कोई एक वृत्त के केंद्र पर बल कार्य करता है, इस बल को अभिकेंद्रीय बल कहते हैं।
इस बल के अभाव में वस्तु वृत्ताकार मार्ग पर नहीं चल सकती है।
यदि कोई m द्रव्यमान का पिंड v से r त्रिज्या के वृत्तीय मार्ग पर चल रहा है तो उस पर कार्यकारी वृत्त के केंद्र की ओर आवश्यक अभिकेंद्रीय बल f=mv2/r होता है।
 
किसी पिण्ड के तात्क्षणिक वेग के लम्बवत दिशा में गतिपथ के केन्द्र की ओर लगने वाला [[बल]] '''अभिकेन्द्रीय बल''' (Centripetal force) कहलाता है। अभिकेन्द्र बल के कारण पिण्ड [[वक्र]]-पथ पर गति करती है (न कि रैखिक पथ पर)। उदाहरण के लिये [[वृत्तीय गति]] का कारण अभिकेन्द्रीय बल ही है।
[[चित्र:Moviment circular.jpg|right|thumb|350px|]]
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