अन्य संबंधित आंदोलन
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माना जाता है कि मध्यकालीन सूफी कवियों यथा जलाल अल-दीन मोहम्मद रूमी और [[सिंधी]] कवियों और संत मत कवियों के बीच बहुत समानता है.<ref name=अलसानी>अलसानी, अली, ''सिंधी लिटरेरी कल्चर'', in पोल्लोक, शेल्डन I (Ed.) ''लिटरेरी कल्चर इन हिस्टरी'' (2003), p.637-8, यूनीवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया प्रेस, ISBN 0-520-22821-9</ref>
उत्तर भारत का राधास्वामी आंदोलन अपने आप को संतमत पंरपरा और धार्मिक प्रयास का मुख्य निधान मानता है और स्वयं को संत परंपरा के जीवित अवतार की भांति प्रस्तुत करता है. सबसे अधिक उल्लेखनीय राधास्वामी सत्संग ब्यास है, जो ब्यास नदी के किनारे पर स्थित है और जिसके वर्तमान जीवित
गुरु महाराज जी (प्रेम रावत) और डिवाइन लाइट मिशन (एलेन विटाल) को जे. गोर्डन मेल्टन, लूसी डू पर्टीज़, और विशाल मंगलवाड़ी संत मत परंपरा का मानते हैं परंतु रॉन ग्रीव्ज़ इस लक्षण-वर्णन के विरोधी हैं .<ref> जे. गोर्डन मेल्टन., एनसाइक्लोपीडिया ऑफ अमेरीकन रिलीजियंस </ref><ref>लूसी डू पर्टीज़. "हाओ पीपल रिकॉगनाइज़ करिश्मा: ''राधास्वामी'' और डिवाइन लाइट मिशन" के मामले में ''दर्शन'' in ''सोशिऑलाजिकल एनालाइसिस: अ जर्नल इन द सोशियोलोजी ऑफ रिलीजियन '' Vol. 47 No. 2 by एसोसिएशन फॉर द सोशियोलॉजी ऑफ रिलीजियन. शिकागो, समर 1986, ISSN 0038-0210, pp. 111-124.</ref><ref>{{Citation|last=मंगलवाडी|first=विशाल|author-link=विशाल मंगलवाडी|title=वर्ल्ड आफ गुरुज़|publisher=विकास पब्लिशिंग हाऊस प्रा.लि.|location=नई दिल्ली|year=1977|page=218|isbn=0-7069-0523-7}}</ref><ref>रोन ग्रीव्ज़. "फ्राम डिवाइन लाइट मिशन टू एलन विटाल एंड बियोंड:एन एक्सप्लोरेशन ऑफ चेंज एंड एडेप्टेशन" in ''नोवा रिलीजियो:द जरनल ऑफ आल्टरनेटिव एंड इमेर्जेंट रिलीजियंस'' वाल्यूम. 7 No. 3. मार्च 2004, पृ. 45–62. मूल रूप से अल्प मत धर्म, सामाजिक परिवर्तन और आत्मा की स्वतंत्रता पर (यूनीवर्सिटी ऑफ ऊटाह एट साल्ट लेक सिटी) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया. [http://कैलीबर.यूसीप्रेस.लेट/doi/abs/10.1525/nr.2004.7.3.45 At Caliber (जरनल्स ऑफ द यूनीवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया प्रैस)]</ref> 20वीं सदी के एकंकार Eckankar धार्मिक आंदोलन को भी [[डेविड सी. लेन]] ने संत मत परंपरा की ही शाखा माना है.<ref name="लेन">लेन, डेविड सी., "एक आध्यात्मिक आंदोलन की रचना", एल मार प्रैस; संशोधित संस्करण (दिसंबर 1, 1993), ISBN 0-9611124-6-8</ref> जेम्स आर. ल्यूइस ने इन आंदोलनों को ''नए संदर्भ में पुराने विश्वास की अभिव्यक्ति'' कहा है.<ref>ल्यूइस, जेम्स आर. ''द ऑक्सफोर्ड हैंडबुक ऑफ न्यू रिलीजियस मूवमेंट्स'' पृ.23,ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी प्रैस (2003), ISBN 0-19-514986-6</ref>
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