"ब्रह्म": अवतरणों में अंतर

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दोहा गरीब लख लख योजन उड़त हैं सुर नर मुनि जन संत
ऊंचा धाम कबीर Brahm का कोई न पावे अंत
 
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ओहम सोहम जप ले भाई राम नाम की यही कमाई