[[चित्र:Méthode scientifique.jpg|right|thumb|300px|वैज्ञानिक विधि (चित्र में टेक्स्ट [[फ्रांसीसी|फ्रेंच भाषा]] में है)। इसमें वैज्ञानिक विधि के मुख्य चार चरण बताए गए हैं- प्रयोग (सबसे नीचे), प्रेक्षण (बाएँ), सिद्धान्तीकरण (ऊपर), पूर्वकथन या प्रागुक्ति (दाएँ)]]
[[चित्र:The Scientific Method.svg|right|thumb|300px|वैज्ञानिक विधि - मन में कोई प्रशन उठना या कोई विशेष प्रेक्षण (सबसे ऊपर) ; अनुसन्धान का विषय ; [[परिकल्पना]] ; प्रयोग एवं परीक्षण (सबसे नीचे) ; आंकड़ों का विश्लेषण ; निषकर्ष को प्रस्तुत करना। ]]
[[विज्ञान]], प्रकृति का विशेष ज्ञान है। यद्यपि मनुष्य प्राचीन समय से ही प्रकृति सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करता रहा है, फिर भी विज्ञान अर्वाचीन काल की ही देन है। इसी युग में इसका आरम्भ हुआ और थोड़े समय के भीतर ही इसने बड़ी उन्नति कर ली है। इस प्रकार संसार में एक बहुत बड़ी क्रांति हुई और एक नई सभ्यता का, जो विज्ञान पर आधारित है, निर्माण हुआ।
== इतिहास ==
प्रश्न यह है कि विज्ञान की द्रुत गति से जो उन्नति हुई, उसका श्रेय किसे है? क्या प्राचीन काल के मनुष्य इन अर्वाचीन वैज्ञानिकों की अपेक्षा बुद्धि कम रखते थे? यदि ऐसी बात है, तो [[दर्शनशास्त्र|दर्शन]], [[साहित्य]] एवं [[ललित कला]]ओं की उन्नति प्राचीन समय में इतनी अधिक क्यों हुई? संभवत:संभवतः इसका रहस्य उन '''वैज्ञानिक विधियों''' में निहित है, जिनका प्रश्रय पाकर विज्ञान इतनी उन्नति कर सका है।
अर्वाचीन विज्ञान का आरंभ लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व हुआ। जैसा ऊपर कहा गया है, प्राचीन काल में भी विज्ञान की कुछ उन्नति हुई, किंतुकिन्तु उसका क्रम आगे न बढ़ पाया। इसलिए कुछ बात इसके पीछे अवश्य रही होगी। वस्तुत: प्राचीन काल के मनीषियों ने जो भी ज्ञान अर्जित किया, उसे बुद्धिवादी कहना ठीक होगा। अपनी बुद्धि और तर्क के बल पर ज्ञान की उच्च कोटि की बातें उन्होंने बताईं, किंतु उनके प्रकार और वर्धन की व्यवस्था नहीं थी और संसार भर में उनका व्यापक प्रचार और प्रसारण नहीं हो पाया अर्वाचीन विज्ञान इसके विपरीत प्रायोगिक ज्ञान है, जिसका आरंभ में बड़ा विरोध हुआ। इसी के फलस्वरूप गैलिलियो जैसे अग्रगामी वैज्ञानिकों को कड़ी यातनाएँ सहनी पड़ीं। फिर भी प्रयोग द्वारा सत्यापन विधि के भीतर ही प्रसारण का बीज भी छिपा हुआ था। इस प्रकार जो ज्ञान मिलता गया, वह एक शृंखला में आबद्ध हो चला, जिसका क्रम आगे भी जारी रहा। इस ज्ञान से शक्ति के नए नए स्रोतों का पता चला और परिणामस्वरूप न केवल इसका विरोध कम होता गया अपितु एक बहुत बड़ी क्रांति समाज में हुई। मशीन युग का सूत्रपात हुआ और संसार में आशा की एक नई किरण सामने आई। किंतु जिस प्रकार सभी वस्तुओं के साथ अच्छाई और बुराई दोनों के पहलू जुड़े हुए हैं, विज्ञान भी मानव के लिए केवल वरदान ही न रहा, उसका पैशाचिक रूप हिरोशिमा में ऐटम बम के रूप में विश्व ने देखा, जिसके विस्फोट के कारण संसार के विनाश तथा प्रलय की लीला का दृश्य उपस्थित हो गया। इस प्रकार संसार के सामने "सत्य को केवल सत्य के लिए" खोज न करने की आवश्यकता जान पड़ी और "सत्यं शिवं सुंदरम्" के अदर्श को विज्ञान जगत् में भी अपनाना ही श्रेयस्कर मालूम हुआ। विज्ञान इस प्रकार नियंत्रित होकर ही मानव कल्याण में योगदान कर सकता है। इसी नियंत्रण के फलस्वरूप परमाण्वीय भट्ठियाँ बनीं, जो एक प्रकार से नियंत्रित ऐटम बम मात्र हैं, किंतु जिनसे अपार सुविधाएँ मिल सकती हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि अल्प काल में ही विज्ञान ने बड़ी उन्नति की और इसका सब श्रेय प्रयोगविधि को है, जिसका उपयोग प्राचीन समय में नहीं किया गया था। इस प्रयोगविधि में प्रयोग का महत्त्व सर्वोपरि है, फिर भी अन्य और विधियों का उपयोग भी एक विशेष ढंग और क्रम से किया जाता है, जिन्हें हम वैज्ञानिक विधियाँ कह सकते हैं।"(वैज्ञानिक विधि ज्ञान प्राप्त करने का एक अनुभवजन्य तरीका है जो कम से कम 17 वीं शताब्दी के बाद से विज्ञान के विकास की विशेषता है। इसमें सावधानीपूर्वक अवलोकन शामिल है, जो कि मनाया जाता है, इसके बारे में कठोर संदेह को लागू करना, यह देखते हुए कि संज्ञानात्मक मान्यताएं एक को कैसे व्याख्या करती हैं, इसमें शामिल हैं, इसमें प्रेरणों के माध्यम से, प्रेरणों के माध्यम से, अवधारणाओं से उत्पन्न कटौती के माध्यम से; संवेदनाओं से उत्पन्न कटौती के प्रयोगात्मक और माप-आधारित परीक्षण; और प्रायोगिक निष्कर्षों के आधार पर अवधारणाओं (परिमाण), ये वैज्ञानिक पद्धति के सिद्धांत हैं, जैसा कि सभी वैज्ञानिक उद्यमों के लिए लागू की निश्चित सीमा से अलग है। "वैज्ञानिक अनुसंधान" यहां रीडायरेक्ट है। प्रकाशक के लिए, वैज्ञानिक अनुसंधान प्रकाशन देखें।)"
== प्रमुख वैज्ञानिक विधियाँ ==
विज्ञान के अध्ययन में जिन विधियों का उपयोग सामूहिक रूप से अथवा आंशिक रूप से किया जाता है, उनका नीचे वर्णन किया जा रहा है :[[चित्र:Science process.JPG|thumb|Scienceविज्ञान processकी प्रक्रिया]]
(1) '''निरीक्षण''' (observation) - जिस प्राकृतिक वस्तु या घटना का अध्ययन करना हो, सबसे पहले उसका ध्यानपूर्वक निरीक्षण आवश्यक है। यदि कोई घटना क्षणिक हो, तो उसका चित्रण कर लेना आवश्यक है, ताकि बाद में उसका निरीक्षण हो सके, जैसे ग्रहण। निरीक्षण के लिए सूक्ष्मदर्शी या दूरदर्शी का उपयोग किया जा सकता है, ताकि अधिक विस्तार के साथ और ठीक ठीक निरीक्षण हो सके। यदि अन्य लोग भी निरीक्षण का कार्य कर रहे हों, तो उसका स्वागत करना चाहिए कि केवल निरीक्षित वस्तु पर ही ध्यान केंद्रित रहे, जैसे अर्जुन को वाणविद्या के परीक्षण के समय केवल पक्षी का सिर दिखाई पड़ रहा था। कभी-कभी किस वस्तु के विषय में मस्तिष्क में पहले से कुछ धारणा बनी रहती है, जो निष्पक्ष निरीक्षण में बहुत बाधक होती है। निरीक्षण के समय इस प्रकार की धारणाओं से उन्मुक्त होकर कार्य करना चाहिए।
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