"ईद उल-फ़ित्र": अवतरणों में अंतर
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ईद उल-फितर का सबसे अहम मक्सद एक और है कि इसमें ग़रीबों को '''<u>फितरा</u>''' देना वाजिब है जिससे वो लोग जो ग़रीब हैं मजबूर हैं अपनी ईद मना सकें नये कपडे पहन सकें और समाज में एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सकें फित्रा वाजिब है उनके ऊपर जो 52.50 तोला चाँदी या 7.50 तोला सोने का मालिक हो अपने और अपनी नाबालिग़ औलाद का सद्कये फित्र अदा करे जो कि ईद उल फितर की नमाज़ से पहले करना होता है।<ref>{{Cite web|url=https://www.india.com/hindi-news/faith-hindi/eid-ul-fitr-in-india-2020-date-celebrated-in-india-4034411/|title=Eid Ul Fitr in India 2020 Date: चांद के दीदार के बाद भारत में इस दिन मनाई जाएगी ईद|last=Desk|first=India com Hindi News|website=India News, Breaking News, Entertainment News {{!}} India.com|language=hi|access-date=2020-05-24}}</ref>
ईद भाई चारे व आपसी मेल का तयौहार है ईद के दिन लोग एक दूसरे के दिल में प्यार बढाने और नफरत को मिटाने के लिए एक दूसरे से गले मिलते हैं
उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि अल्लाह ने उन्हें महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी। हालांकि उपवास से कभी भी मोक्ष संभव नहीं क्योंकि इसका वर्णन पवित्र धर्म ग्रन्थो में नही है। पवित्र कुरान शरीफ भी बख्बर संत से इबादत का सही तरीका लेकर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए सर्वशक्तिमान अल्लाह की पूजा करने का निर्देश देता है।<ref>{{Cite web|url=https://news.jagatgururampalji.org/eid-al-fitr-in-hindi/|title=ईद-उल-फितर पर जानिए आख़िर कौन हैं अल्लाह ताला (पूर्ण परमात्मा)?|date=2021-05-13|website=S A NEWS|language=en-US|access-date=2021-05-13}}</ref> ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार का सबसे मत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।<ref>{{Cite web|url=https://aajtak.intoday.in/gallery/eid-2018-celebration-in-india-know-important-points-tpra-1-22893.html|title=जानें क्यों मनाई जाती है ईद-उल-फितर, रोजे का भी खास महत्व - dharma AajTak|website=aajtak.intoday.in|language=hi|access-date=2020-05-24}}</ref>
ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ होता है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं। यह दान दो किलोग्राम कोई भी प्रतिदिन खाने की चीज़ का हो सकता है, मिसाल के तौर पे, आटा, या फिर उन दो किलोग्रामों का मूल्य भी। से पहले यह ज़कात ग़रीबों में बाँटा जाता है। उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि अल्लाह ने उन्हें पूरे महीने के उपवास रखने की शक्ति दी। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों
ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/news/PUN-JAL-OMC-MAT-latest-jalandhar-news-034024-2284744-NOR.html|title=रहमत के छीटों के बीच अदा की ईद की नमाज|date=2015-07-19|website=Dainik Bhaskar|language=hi|access-date=2020-05-25}}</ref>
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