"अवधारणा": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2401:4900:5B89:AB5D:93B:BCC9:3EDB:7543 (Talk) के संपादनों को हटाकर अनुनाद सिंह के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 2:
 
अवधारणा के अंतर्गत की वस्तुओं तथा परिघटनाओं का संवेदनात्मक सामान्यीकृत [[बिंब]], जो वस्तुओं तथा परिघटनाओं की ज्ञानेंद्रियों पर प्रत्यक्ष संक्रिया के बिना [[चेतना]] में बना रहता है तथा पुनर्सृजित होता है। यद्यपि अवधारणा व्यष्टिगत संवेदनात्मक परावर्तन का एक रूप है फिर भी मनुष्य में सामाजिक रूप से निर्मित मूल्यों से उसका अविच्छेद्य संबंध रहता है। अवधारणा भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त होती है, उसका सामाजिक महत्व होता है और उसका सदैव बोध किया जाता है। अवधारणा चेतना का आवश्यक तत्व है, क्योंकि वह संकल्पनाओं के वस्तु-अर्थ तथा अर्थ को वस्तुओं के बिम्बों के साथ जोड़ती है और हमारी चेतना को वस्तुओं के संवेदनात्मक बिम्बों को स्वतंत्र रूप से परिचालित करने की संभावना प्रदान करती है।<ref>दर्शनकोश, प्रगति प्रकाशन, मास्को, १९८0, पृष्ठ-४८, ISBN: ५-0१000९0७-२</ref>
 
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
== बाहरी कड़ियाँ ==