"केतु": अवतरणों में अंतर

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जातक की जन्म-कुण्डली में विभिन्न भावों में केतु की उपस्थिति भिन्न-भिन्न प्रभाव दिखाती हैं।<ref>[http://hindi.webdunia.com/religion-astrology-article/कुंडली-के-बारह-भाव-में-केतु-का-फल-1120310106_1.htm कुंडली के बारह भाव में केतु का फल] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20130802153527/http://hindi.webdunia.com/religion-astrology-article/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B9-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%81-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AB%E0%A4%B2-1120310106_1.htm |date=2 अगस्त 2013 }}|वेबदुनिया-हिन्दी। अभिगमन तिथि: ०४ अक्टूबर २०१२</ref>
 
* प्रथम भाव में अर्थात लग्न में केतु हो तो जातक चंचल, भीरू, दुराचारी होता है। इसके साथ ही यदि [[वृश्चिक राशि]] अथवा [[मकर राशि]]में हो तो सुखकारक, धनी एवं परिश्रमी होता है।
* द्वितीय भाव में हो तो जातक राजभीरू एवं विरोधी होता है।
* तृतीय भाव में केतु हो तो जातक चंचल, वात रोगी, व्यर्थवादी होता है।
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* एकादश भाव में केतु हर प्रकार का लाभदायक होता है। एस प्रकार का जातक भाग्यवान, विद्वान, उत्तम गुणों वाला, तेजस्वी किन्तु उदर रोग से पीड़‍ित रहता है।
* द्वादश भाव में केतु हो तो जातक उच्च पद वाला, शत्रु पर विजय पाने वाला, बुद्धिमान, धोखा देने वाला तथा शक्की स्वभाव होता है।
 
 
== सन्दर्भ ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/केतु" से प्राप्त