"काफ़ि़र": अवतरणों में अंतर

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मामूली अविश्वास या कुफ़रान-निमाह "ईश्वर के आशीर्वाद या एहसान की कृतघ्नता" को इंगित करता है।<ref name=q-trans>{{cite book|last1=Taqi-ud-Din Al-Hilali|first1=Muhammad|first2=Muhammad Muhsin|last2=Khan|title=The Holy Quran Translation|publisher=ideas4islam|pages=901–02|url=https://books.google.com/books?id=dMK6fNcjg44C&q=Al-Kufr+al-Akbar&pg=PA901|access-date=16 June 2015|isbn=9781591440000|year=2000}}</ref>
 
==ग़ैर-मुस्लिम/काफ़िर को दण्ड==
* फिर, जब पवित्र महीने बीत जाऐं, तो ‘मुश्रिकों’ (मूर्तिपूजकों) को जहाँ-कहीं पाओ [[कत्ल]] करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। ( कुरान मजीद, सूरा 9, आयत 5)<ref name=Quran>[https://en.wikiquote.org/wiki/Qur'an_on_non-Muslims Qur'an on non-Muslims]</ref>
 
* जिन लोगों ने हमारी ”आयतों” का इन्कार किया (इस्लाम व कुरान को मानने से इन्कार) , उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं” (कुरान सूरा 4, आयत 56) <ref name=Quran />
 
* ईसाइयों और यहूदियों के साथ मित्रता मत करो (सूरा 5, आयत 51)।<ref name=Quran />
 
* काफिरों को जहाँ पाओ, उनको जान से मार दो (सूरा 2, आयत 191)।<ref name=Quran />
 
* ईमान वालों, अपने आस-पास रहने वाले काफिरों के साथ युद्ध करो। उनको तुम्हारे अन्दर कटुता दिखनी चाहिए। (सूरा 9, आयत 123)<ref name=Quran />
 
* अल्लाह ग़ैर-मुसलमानों का दुश्मन है। (सूरा 2, आयत 98)<ref name=Quran />
 
* इस्लाम के अलावा और कोई धर्म/देवता स्वीकार नहीं है। (सूरा 3, आयत 85)<ref name=Quran />
 
* इस्लाम को न मानने वालों का दिल अल्लाह भर देगा और ग़ैर-मुसलमानों की गर्दन काट कर तुम्हें उनका शरीर काट देना है। (सूरा 8, आयत 12)<ref name=Quran />
 
* सिर्फ मुसलमानों को अपना करीबी दोस्त बनाएं। (सूरा 3, आयत 118)<ref name=Quran />
 
* गैर-मुस्लिम दोस्त न बनाएं। (सूरा 3, आयत 28 व सूरा 9, आयत 23)<ref name=Quran />
 
* गैर-मुसलमानों से तब तक लड़ें जब तक अल्लाह का धर्म पूरी तरह से दुनिया में स्थापित न हो जाए। (सूरा 8, आयत 39)<ref name=Quran />
 
* मूर्तियाँ गंदी हैं। (सूरा 22, आयत 30)<ref name=Quran />
 
* मूर्ति पूजा करने वालों को जहाँ कहीं भी मिले, घात लगाकर उन्हें मार डालो। (सूरा 9, आयत 5)<ref name=Quran />
 
* जहाँ कहीं पाखंडी और मूर्तिपूजक पकड़े जाते हैं, उनकी बुरी तरह से हत्या कर दी जाएगी। (सूरा 33, आयत 61)<ref name=Quran />
 
* अल्लाह के सिवा कोई पवित्र ईश्वर नहीं है। (सूरा 3, आयत 62, सूरा 2, आयत 255, सूरा 27, आयत 61 व सूरा 35, आयत 3)<ref name=Quran />
 
* अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत करने वाले नर्क के ईंधन हैं। (सूरा 21, आयत 98)<ref name=Quran />
 
* मूर्ति पूजक अशुद्ध (अपवित्र) है। (सूरा 9, आयत 28)<ref name=Quran />
 
* काफ़िर आपके खुले दुश्मन हैं। (सूरा 4, आयत 101)<ref name=Quran />
 
* काफिरों पर ज़ुल्म करो। (सूरा 9, आयत 123)<ref name=Quran />
 
* काफिरों को नीचा दिखाएँ और उनसे लड़ें। (सूरा 9, आयत 29)<ref name=Quran />
 
* काफिरों और पाखंडियों के खिलाफ जिहाद (लड़ाई) करो। (सूरा 66, आयत 9)<ref name=Quran />
 
* हम कुरान का खंडन करने वालों की खाल पकाएँगे। (सूरा 4, आयत 56)<ref name=Quran />
 
* लूट का सारा माल (लड़कियां व महिलाओं सहित) हलाल है। गैर मुसलमानों के लड़कियां और महिलाओं को गुलाम बना के बलात्कार करना जायज है)। (सूरा 8, आयत 69)<ref name=Quran />
 
* अल्लाह ईमान वालों के हाथों काफ़िरों को सताएगा। (सूरा 9, आयत 14)<ref name=Quran />
 
* युद्धबंदियों को सताओ। (सूरा 8, आयत 57)<ref name=Quran />
 
* इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो। (सूरा 32, आयत 22)<ref name=Quran />
 
इसी तरह की सैकड़ों आयतों में इस्लाम या उसके सिद्धान्तों में विश्वास न करने वालों के साथ हिंसा का उपयोग करने की सलाह दी गयी है।
 
==काफ़िर शब्द शायरी में==