"रानी कर्णवती": अवतरणों में अंतर

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अल्प काल के लिये [[बूँदी]] की शासिका भी रहीं। वे राणा विक्रमादित्य और [[उदयसिंह द्वितीय|राणा उदय सिंह]] की माँ थीं और [[महाराणा प्रताप]] की दादी थीं।
 
इनके द्वारा मेवाड़ का दूसरा जौहर 8 मार्च, 1535 में कियाकर लिया गया |
 
== बाहरी कड़ियाँ==