"सप्त पुरियां": अवतरणों में अंतर

→‎धर्मानुसार: अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका । पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका: ॥
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श्लोक
अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका ।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका:॥
 
== धर्मानुसार ==
[[हिन्दू धर्म]] के अनुसार, अयोध्यदि सातों पुरियाँ काशी में वर्त्तमान है, ऐसा पुराणों का वचन है और इसी आधार पर काशी में जिन-जिन स्थानों में उनकी संस्थिति है, वहाँ उनपुरियों की यात्रा होती है। यह यात्रा नित्य करने का विधान है, परन्तु, इस यात्रा की विशेषता यह है कि इसमें किस ॠतु में किस पुरी की यात्रा करना चाहिए, इसका भी निर्देश है। ब्रहम्वैवर्त्तपुराण३० के अनुसार शंखोद्वार (शखूधार) के पास द्वारका है। यहाँ की याक्त्रा वर्षा में, बिन्दुमाधव के पास विष्णुकांची है, वहाँ की यात्रा शरद ॠतु में, सोमेश्वर के वायव्यकोण में रामकुण्ड पर अयोध्या है जहाँ रामेश्वर नाम का शिवलिंग है। वहाँ की यात्रा ग्रीष्म ॠतु में, असीसंगम पर गंगाद्वार, अर्थात हरिद्वार है, जहाँ की यात्रा शिशिर ॠतु में, वृद्धकाल से कृत्तिवासेश्वर तक उज्जयिनी अथवा अवन्तिका है, जहाँ की यात्रा हेमन्त ॠतु में, उत्तरार्क (बकरियाकुण्ड) से उत्तर वरणा नदी तक मथुरा है, जहाँ की यात्रा वसन्तॠतु में होती है। काशी और शिवकांची तो काशी में व्याप्त ही है।
अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका: ‌॥
 
==सन्दर्भ==