"गोलाध्याय": अवतरणों में अंतर

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: ''त्नच्चेतसि प्रवद तात तता लतावत् ॥
 
: (तात्पर्य है कि वह कौन सा वर्ग है जिसे ६७ से गुणा कर उसमें १ का वर्ग जोड़ दें, अथवा वह कौन सा वर्ग है जिसे ६१ से गुणा करके १ का वर्ग जोड़ देंने से प्राप्त अंक पूर्ण वर्ग हो जाता है (या उसका निरवयव वर्गमूल मिल जाता है।)।
 
== वर्ण्य विषय ==
इसमें १३ अध्याय हैं जिनमें निम्नलिखित विषयों का समावेश है-
* गोले के अध्ययन की प्रसंशा
* गोले की प्रकृति
* ब्रह्माण्ड तथा भूगोल
* ग्रहों की माध्य गति
* ग्रहों की गति का Eccentric epicyclic model
* The armillary sphere.
* गोलीय त्रिकोणमिति
* दीर्घवृत्त से सम्बन्धित गणनाएँ
* ग्रहों की प्रथम बार दर्शन (दृश्यता)
* चान्द्र दर्शन की गणना (lunar crescent)
* खगोलीय उपकरण
* ऋतुएँ
* खगोलीय गणणा सम्बन्धी प्रश्न
 
== सन्दर्भ ==