"अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास": अवतरणों में अंतर

Maharaja Jaypal khatana ke bare me likha
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सिकन्दर का आक्रमण ३२८ ईसापूर्व में उस समय हुआ जब यहाँ प्रायः फ़ारस के [[हखामनी]] शाहों का शासन था। उसके बाद के ग्रेको-बैक्ट्रियन शासन में [[बौद्ध धर्म]] लोकप्रिय हुआ। ईरान के [[पार्थिया|पार्थियन]] तथा भारतीय [[शक|शकों]] के बीच बँटने के बाद अफ़ग़निस्तान के आज के भूभाग पर [[सासानी साम्राज्य|सासानी]] शासन आया। [[फ़ारस पर इस्लामी फ़तह]] का समय कई साम्राज्यों के रहा। पहले [[बग़दाद]] स्थित [[ख़िलाफ़त ए अब्बासिया|अब्बासी]] [[ख़िलाफ़त]], फिर [[ख़ोरासान|खोरासान]] में केन्द्रित [[सामानी साम्राज्य]] और उसके बाद ग़ज़ना के शासक। गज़ना पर [[ग़ोर प्रान्त|ग़ोर]] के फारसी शासकों ने जब अधिपत्य जमा लिया तो यह [[गोरी साम्राज्य]] का अंग बन गया। मध्यकाल में कई अफ़ग़ान शासकों ने [[दिल्ली]] की सत्ता पर अधिकार किया या करने का प्रयत्न किया जिनमें [[लोदी वंश]] का नाम प्रमुख है। इसके अलावा भी कई मुस्लिम आक्रमणकारियोंं ने अफगान शाहों की मदत से [[भारत]] पर आक्रमण किया था जिसमें [[बाबर]], [[नादिर शाह]] तथा [[अहमद शाह अब्दाली]] शामिल है। अफ़गानिस्तान के कुछ क्षेत्र [[दिल्ली सल्तनत]] के अंग थे।
 
अफगानिस्तान में सन् 980 ईस्वी में गुर्जर महाराजा जयपाल खटाना का शासन था इस कारण ही अफगानिस्तान के राष्ट्र गान मे गुर्जर जाति का नाम आता है
 
अहमद शाह अब्दाली ने पहली बार अफ़गानिस्तान पर एकाधिपत्य कायम किया। वो अफ़ग़ान (यानि पश्तून) था। १७५१ तक अहमद शाह ने वे सारे क्षेत्र जीत लिए जो वर्तमान में अफगानिस्तान और पाकिस्तान है। थोड़े समय के लिए उसका [[ईरान]] के [[ख़ोरासान|खोरासान]] और [[कोहिस्तान]] प्रान्तों और [[दिल्ली]] शहर पर भी अधिकार था। १७६१ में [[पानीपत का तृतीय युद्ध|पानीपत के तृतीय युद्ध]] में उसने [[मराठा साम्राज्य]] को पराजित किया।