"मुद्रा (करंसी)": अवतरणों में अंतर

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== केन्ज का मुद्रा सिद्धान्त==
समष्टि अर्थषास्त्रअर्थशास्त्र के पिता जे. ए. केन्ज ने अपनी पुस्तकों 'A Trealise on Money' तथा 'The General Theory fo Employment Interest and Money' में मुद्रा के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया। मुद्रा के परम्परागत परिमाण सिद्धान्त के अनुसार मुद्रा के परिमाण में परिवर्तन का कीमतों के साथ सीधा सम्बंध होता है। परन्तु केन्ज के मुद्रा सिद्धान्त के अनुसार कीमतों तथा मुद्रा के परिमाण में विपरीत संबंध होता है केन्ज ने अपने रोजगार के सिद्धान्त में अपूर्ण रोजगार सन्तुलन की बात की है इसलिए जब पूर्ण रोजगार से पहले मुद्रा की मात्रा को बढ़ाया जाता है उत्पादन उसी अनुपात में बढ़ जाता है परन्तु पूर्ण रोजगार की स्थिति में पहुंचने के बाद कीमत स्तर उसी अनुपात में बढ़ता है।
 
; केन्ज के मुद्रा सिद्धान्त का आधारभूत समीकरण