"अरावली": अवतरणों में अंतर

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[[अरावली]] [[भारत]] के पश्चिमी भाग राजस्थान में स्थित एक [[पर्वतमाला]] है। [[भारत का भूगोल|भारत की भौगोलिक संरचना]] में अरावली प्राचीनतम पर्वत श्रेणी है,जो गोडवाना लेंड का अस्तित्व है। यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है जो राजस्थान को पूर्व और पश्चिम दो भागों में बांटती है। इसकी उत्पत्ति प्रिकेंबियन युग (45000 लाख वर्ष ) में हुई।। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही जिले में गुरुशिखर (1722 /1727 मी.) है, जो माउंट आबू(सिरोही) में है। अरावली पर्वतमाला के आस - पास सदियों से [[भील]] जनजाति निवास करती रही है।
 
अरावली पर्वत श्रंखला की अनुमानित आयु 570 मिलियन वर्ष है यह एक अवशिष्ट पर्वत का उदाहरण है जिसकी कुल लम्बाई [[पालनपुर]],[[गुजरात]] से [[रायसीना]],[[दिल्ली]] तक लगभग 692 किलीमीटर है, अरावली पर्वत श्रंखला का लगभग 79.49% विस्तार (लगभग 550 किलोमीटर) राजस्थान में है, दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन रायसीना की पहाड़ी पर बना हुआ है जो अरावली पर्वत श्रंखला का ही भाग है, अरावली की औसत ऊंचाई 930मीटर(एनसीआरटी के अनुसार 1000 मीटर) है,तथा अरावली के दक्षिण की ऊंचाई व चौड़ाई सर्वाधिक है, अरावली या अर्वली उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। राजस्थान राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती 550 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं। शिखरों एवं कटकों की श्रृखलाएँ, जिनका फैलाव 10 से 100 किलोमीटर है, सामान्यत: 300 से 900 मीटर ऊँची हैं। यह पर्वतमाला, दो भागों में विभाजित है- सांभर-सिरोही पर्वतमाला- जिसमें माउण्ट आबू के गुरु शिखर (अरावली पर्वतमाला का शिखर, ऊँचाई (1,722 मीटर ) में और (5649.606 फ़ीट ) सहित अधिकतर ऊँचे पर्वत हैं। सांभर-खेतरी पर्वतमाला- जिसमें तीन विच्छिन्न कटकीय क्षेत्र आते हैं। अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों (एवं खनिज़) से परिपूर्ण है और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करतीरोकती है। अरावली पर्वत का पश्चिमी भाग मारवाड़ एवं पूर्वी भाग मेवाड़ कहलाता है। यहां अनेक प्रमुख नदियों- बनास, लूनी, साखी एवं साबरमती का उदगम स्थल है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं, अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली (गुलाबी रंग के स्फ़टिक) है।
 
 
अरावली पर्वतमाला को महान भारतीय जल विभाजक रेखा कहा जाता है अरावली के पश्चिम में 50 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा से कम वर्षा तथा पूर्व में 50 सेंटीमीटर वार्षिक से अधिक वर्षा होती है। अरावली के पश्चिम से जो नदियां निकलती है वह अरब सागर में गिरती है तथा पूर्व से निकलने वाली बंगाल की खाड़ी में गिरती है अतः नदियों के जल का बंटवारा भी करती है।
 
अरावली पर्वतीय प्रदेश में आदरणीय प्राथमिक और ग्रेनाइट चट्टाने पाई जाती है आंतरिक चट्टाने ग्रेनाइट चट्टान कहलाती है इन चट्टानों में धात्विक खनिज पाए जाते हैं लोहा तांबा सीसा जस्ता चांदी टंगस्टन मैंगनीज यूरेनियम तथा बेरिलियम राजस्थान में इसी क्षेत्र से निकलते हैं। खेतड़ी में डाबला सिंघाना, मोरीजा बानो-जयपुर नीमला राय सेना प्रमुख लोहा ऐसा कि खाने हैं। तांबे की प्रमुख खानों में राजपुर दरीबा जावर और रामपुर आगूचा है।
 
अरावली पर्वतीय क्षेत्र में राजस्थान का कुल क्षेत्रफल का 9.3 प्रतिशत भाग तथा कुल जनसंख्या की 10% जनसंख्या निवास करती है। इस पर्वत माला को ऊंचाई के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है। उत्तरी अरावली में आने वाले राजस्थान के जिले अलवर, जयपुर, दौसा मध्य अरावली में आने वाला जिला अजमेर तथा दक्षिणी अरावली में आने वाले जिले राजसमंद, सिरोही, तथा उदयपुर है।
 
अरावली पर्वतीय क्षेत्र में अनेक जनजाति निवास करती है जिनमें मुख्य रुप से मीणा, गरासिया, डामोर, कत्थोड़ी, कंजर तथा भील है। राजस्थान के प्रतापगढ़, डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा पूर्ण जनजातीय जिले है।
 
 
 
==अरावली पर्वत की विशेषताएं==