"रीति काल": अवतरणों में अंतर
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विद्वानों का यह भी मत है कि इस काल के कवियों ने काव्य में मर्यादा का पूर्ण पालन किया है। घोर शृंगारी कविता होने पर भी कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन देखने को नहीं मिलता है।
:[[हिन्दी साहित्य]]
:[[आदिकाल]]
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