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* [[हेपेटाइटिस बी|हेपटाइटिस बी]] सतह प्रतिजन
* [[प्रमेह|सूजाक]] और क्लामीडिया संवर्ध
* [[यक्ष्मा|तपेदिक]] (टीबी) के लिए पीपीडी (PPD)
* पैप स्मीयर
* मूत्र-विश्लेषण और संवर्ध
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* ग्रुप बी गोलाणु की जांच - सकारात्मक होने पर आइवी पेनिसिलिन (IV penicillin) या एम्पीसिलीन (यह बहुत सस्ता होता है और यह कई जगह उपलब्ध होता है) दिया जाएगा (यदि माता को एलर्जी होती हो तो वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में आइवी क्लिंडामाइसिन (IV clindamycin) और आइवी वैंकोमाइसिन (IV vancomycin) दिया जाता है)
डाउंस सिंड्रोम (त्रिगुणसूत्रता 21) और त्रिगुणसूत्रता 18 की आनुवंशिक जांच
आम तौर पर 16-18 सप्ताह की अवधि वाली दूसरी तिमाही में किया जाने वाले डाउंस सिंड्रोम की एएफपी-क्वैड (AFP-Quad) जांच से संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रीय मानक बड़ी तेज़ी से विकास हो रहा है। भ्रूण की ग्रीवा (मोटी त्वचा ठीक नहीं होती है) और दो रसायन (विश्लेष्य पदार्थ) पैप-ए (Papp-a) और बीएचसीजी (bhcg) (स्वयं गर्भावस्था हार्मोन स्तर) के अल्ट्रासाउंड के साथ 10 से 13 सप्ताह के बाद नवीन एकीकृत जांच (जिसे पहले फास्टर (F.A.S.T.E.R) कहा जाता था, जो फर्स्ट एण्ड सेकण्ड ट्राइमेस्टर अर्ली रिज़ल्ट्स अर्थात् पहली और दूसरी तिमाही के आरंभिक परिणाम का संक्षिप रूप है) की जा सकती है। यह बहुत जल्द एक सटीक जोखिम प्रोफ़ाइल प्रदान करता है। उसके बाद 15 से 20 सप्ताह में दूसरी बार खून की जांच की जाती है जिससे जोखिम के बारे में और अधिक स्पष्ट जानकारी प्राप्त होती है। अल्ट्रासाउंड और द्वितीय [[रक्त परीक्षण]] की वजह से इसका खर्च, एएफपी-क्वैड जांच से अधिक होता है लेकिन देखा गया है कि इसके पीछे खर्च करने की दर 92% है।
 
=== दूसरी तिमाही ===
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चित्रण या इमेजिंग, गर्भावस्था की निगरानी करने का एक और महत्वपूर्ण तरीका है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में भी आम तौर पर माता और भ्रूण का चित्र लिया जाता है। ऐसा माता से जुड़ी समस्याओं की भविष्यवाणी करने के लिए, गर्भाशय के अन्दर गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए, गर्भ की आयु का अनुमान लगाने के लिए, भ्रूणों और गर्भनाल की संख्या का निर्धारण करने के लिए, अस्थानिक गर्भावस्था और पहली तिमाही के रक्तस्राव का मूल्यांकन करने के लिए और विसंगतियों के आरंभिक लक्षणों का आकलन करने के लिए किया जाता है।
 
[[आयनकारी विकिरण]] की वजह से, विशेष रूप से पहली तिमाही में, [[ऍक्स किरण|एक्स-रे]] और कंप्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी (CT)) का प्रयोग नहीं किया जाता है, जिसका भ्रूण पर टेराटोजेनिक असर पड़ता है। भ्रूण पर मैग्नेटिक रेज़ोनंस इमेजिंग या चुंबकीय अनुनाद चित्रण (एमआरआई (MRI)) का कोई प्रभाव नहीं देखा गया है,<ref>{{cite journal
|author=Ibrahim A. Alorainy, Fahad B. Albadr, Abdullah H. Abujamea
|title=Attitude towards MRI safety during pregnancy