"सत्येन्द्रनाथ बोस": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) 42.111.19.32 के सम्पादनों को हटाया (Aviram7 के पिछले संस्करण को पुनः स्थापित किया।) टैग: Manual revert |
||
पंक्ति 11:
|alma_mater = [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]]
}}
[[चित्र:Satyendra-nath-bose.jpg|right|thumb|300px
''' सत्येन्द्रनाथ बोस ''' (१ जनवरी १८९४ - ४ फ़रवरी १९७४) भारतीय [[गणितज्ञ]] और [[भौतिक विज्ञानी|भौतिक शास्त्री]] हैं। [[भौतिक शास्त्र]] में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं - [[बोसॉन|बोसान]] और [[फर्मिऑन|फर्मियान]]। इनमे से बोसान सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर ही हैं।
== जीवनी ==
सत्येन्द्रनाथ बोस का जन्म 1 जनवरी 1894 को
सत्येन्द्रनाथ बोस ने सन् १९१५ में गणित में एम.एस.सी. परीक्षा प्रथम श्रेणी में सर्वप्रथम आकर उत्तीर्ण की। उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर सर आशुतोष मुखर्जी ने उन्हें प्राध्यापक के पद पर नियुक्त कर दिया। उन दिनों [[भौतिक शास्त्र|भौतिक विज्ञान]] में नई-नई खोजें हो रही थीं। जर्मन भौतिकशास्त्री [[मैक्स प्लांक]] ने ''[[प्रमात्रा यान्त्रिकी|क्वांटम सिद्धांत]]'' का प्रतिपादन किया था। उसका अर्थ यह था कि ऊर्जा को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटा जा सकता है। [[जर्मनी]] में ही [[अल्बर्ट आइंस्टीन]] ने "[[आपेक्षिकता सिद्धांत|सापेक्षता का सिद्धांत]]" प्रतिपादित किया था। सत्येन्द्रनाथ बोस इन सभी खोजों का अध्ययन कर रहे थे। बोस तथा आइंस्टीन ने मिलकर [[बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी|बोस-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स]] की खोज की।
|