"जलवायु": अवतरणों में अंतर

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मधु..मन की मलीनता मिटाता है। इसलिए 100 फीसदी शुद्ध पवित्र amrutam Madhu pnchamrit का सेवन शुरू करें...
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दूषित जलवायु की वजह से प्रकृति ने हमें अनेक कारगार और असरदायक औषधियों, पोष्टिक विटामिनों से हीन कर दिया। अगर हम आज भी में चेते, तो एक दिन शुद्ध शहद के लिए तरसेंगे, जो मानव शरीर के लिए अमृत है।
मधु बुढ़ापा रोककर सुख समृद्धि बढ़ता है। ख जानकारी सिंध पुराण में भी दी गई है।
मधु पंचामृत में नवग्रहों का वास है। शिवलिंग को भी आस है कि कोई शिवभक्त मुझ पीआर मधु पंचामृत चढ़ाकर शिवजी एवम धरती मां को ऊर्जा देगा..
असंख्य करोड़ों मधुमक्खियों के अथक परिश्रम और दिन रात की मेहनत से बनता है.... मधु का एक छत्ता इसे शुद्ध व पवित्र कर बनता है_मधु पंचामृत हनी
 
प्राकृतिक अनमोल अमृत।
भूख बढ़ाने में सहायक।
पाचन शक्ति ठीक रखने में मदद करे।
पित्त दोष शांत करता है।
मांसपेशियों को शक्ति देता है।
प्रभावी ईधन का काम करे।
शुद्ध शहद यानि मधु पंचामृत की हर बूंद स्फूर्ति, उत्साह, ताजगी व शक्ति से भरी है।
 
॥अमृतम्॥
मधुपचामृत
 
मधुपंचामृत के नियमित उपयोग से जीवनदायनी कुदरती खूबियां तथा देह ज्यों की त्यों बनी रहती हैं।
ठंडे दूध के साथ बढ़ते बच्चों के लिए सर्वोत्तम ।
 
MADHU PANCHAMRIT के फायदे...
जीर्ण-शीर्ण असाध्य रोगियों एवं जो अक्सर अंग्रेजी औषधियों का उपयोग करते हैं, उन्हें प्रतिदिन मधु पंचामृत सेवन करना चाहिये क्योंकि इसके नित्य सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में भारी वृद्धि होती है।
मधु पंचामृत शारीरिक, मानसिक बल को बढ़ाता नेत्र तथा है। इसमें तुलसी का रस जो कि सर्दी, खांसी, ज्वर, शारीरिक क्षीणता कफ, श्वास, हृदय रोगों का नाश करता है।
तुलसी पूज्यनीय भी है, इसलिए तुलसी के सेवन से आध्यात्मिक बल बढ़ता है।
ब्राह्मी का रस तनाव, चिंता, अनिद्रा दूर कर मानसिक शान्ति प्रदान करती है।
ब्राह्मी स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली आयुर्वेद की अमृत तुल्य औषधि है।
पान के पत्ते पर भगवान के समक्ष नैवेद्य अर्पित करने से नवग्रहों की शान्ति व कृपा प्राप्त होती है।
पान में विशेष ऊर्जा होने के कारण धार्मिक कार्यों में पूज्यनीय है।
मधु के साथ पान का रस शिवलिंग पर अर्पित करने से रुकावटें दूर होती हैं।
स्वयं सेवन करने से इच्छाशक्ति प्रबल एवं आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
मधु पंचामृत में मधुयष्टी का मिश्रण ढलती उम्र वालों के लिए विशेष लाभकारी है।
यह बुढ़ापे में होने वाले रोगों से मुक्त करता है।
आयुर्वेद में इसे वीर्य को गाढ़ा करने वाला रसायन कहा गया है।
 
प्राचीनकाल में जब कृत्रिम मिठाईयाँ व शक्कर नहीं हुआ करती थीं, तब लोग मधू (शहद) से ही मुंह मीठा करते थे।
आयुर्वेद में मधू को योगवाही कहा जाता है क्योंकि इसका प्रभाव गरम के साथ इस्तेमाल करने पर गरम एवं ठण्डे के साथ ठण्डा होता है।
मधु पंचामृत केवल ऑनलाइन उपलब्ध है
 
 
 
 
 
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[[चित्र:ClimateMap World.png|thumb|right|300px|जलवायु प्रदेशों का वितरण]]