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==स्थिति==
शिखरजी जैन धर्म के अनुयायिओं के लिए एक महतवपूर्ण तीर्थ स्थल है। पारसनाथ पर्वत विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ हर साल लाखों जैन धर्मावलंबियों आते है, साथ-साथ अन्य पर्यटक भी पारसनाथ पर्वत की वंदना करना जरूरी समझते हैं। गिरिडीह स्टेशन से पहाड़ की तलहटी मधुवन तक क्रमशः 14 और 18 मील है। पहाड़ की चढ़ाई उतराई तथा यात्रा करीब 18 मील की है।
सम्मेद शिखर जैन धर्म को मानने वालों का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह जैन तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जैन धर्मशास्त्रों के अनुसार जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों और अनेक संतों व मुनियों ने यहाँ मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए यह 'सिद्धक्षेत्र' कहलाता है और जैन धर्म में इसे तीर्थराज अर्थात् 'तीर्थों का राजा' कहा जाता है। यह तीर्थ भारत के झारखंड प्रदेश के गिरिडीह जिले में मधुबन क्षेत्र में स्थित है। यह जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ है। इसे 'पारसनाथ पर्वत' के नाम से भी जाना जाता है। एवं अभी इस तीर्थराज की स्थिति खराब है क्युकी यहां पर लोगो ने सब जगह कचरा कर दिया है यह पर आकर लोग अभ्यक्ष खाते है। जैसे <!-- शराब,गुटखा,बीड़ी, सिगरेट आदि। का सेवन कर इस पावन तीर्थ को खराब कर रहे है। एवं सभी जैनियों को मिलकर इस तीर्थ की रक्षा करनी होगी। पारसनाथ सम्वेद शिखर (बिहार)मे ज्ञान की प्राप्ति हुई इनकी शिक्षा में चार व्रतों का उल्लेख किया गया है ये व्रत हैं -
सत्य - सदा सत्य बोलना चाहिए
अहिंसा - जीवों की हत्या नहीं करना चाहिए
अस्तेय - बिना पूछे किसी की कोई वस्तु नहीं छूना चाहिए
अपरिग्रह - आवयश्कता से अधिक धन का संचय नहीं करना चाहिए
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[[चित्र:Shikharji_2004a.jpg|thumb|left|शिखर जी पहाड़ी]]