"कपिलवस्तु": अवतरणों में अंतर

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कोरी कोली जाति के इतिहास के आधार पर शाक्यवंशी क्षत्रिय वंश से संबंध बताया।
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[[फ़ाह्यान]] के समय तक कपिलवस्तु में थोड़ी आबादी बची थी पर [[युआन्च्वाङ]] के समय में नगर वीरान और खँडहर हो चुका था, किंतु बुद्ध के जीवन के घटनास्थलों पर चैत्य, विहार और स्तूप १,००० से अधिक संख्या में खड़े थे।
वर्तमान में कोली,कोरी काछी मोहर्रम,आदि शाक्य वंश की ही उपज जातियां हैं। इससे पता चलता है कि ये सभी जातियां शाक्यवंशी क्षत्रिय हैं परंतु वर्तमान में इन जातियों को अनुसूचित, व पिछड़े वर्ग में रखा गया है यह सही नहीं है। इनका राज्य छिन जाने के बाद शाक्य यहां वहां भाग गए और गरीब हो गए इसी को आधार बनाकर सरकार नें इन्हें अनुसूचित व पिछड़े वर्ग में रखा दिया, कोरी कोली, कुशवाहा मोर्य जातियों का इतिहास देखें तो पता चलता है कि ये लोग भारत में अनेक जगहों पर राज करते थे। तो जो राज करता है वह क्षत्रिय होता है शूद्र नहीं।
 
[[श्रेणी:ऐतिहासिक स्थान]]