"आनंदीबाई जोशी": अवतरणों में अंतर

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| birth_place = [[ठाणे]], [[ब्रिटिश भारत के प्रेसीडेंसी और प्रांत|ब्रिटिश भारत]]
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| death_place = [[पुणे]], [[बंबई प्रेसीडेंसी|बॉम्बे प्रेसीडेंसी]], ब्रिटिश भारत
| resting_place = पकिप्सी ([[न्यूयॉर्क]]), [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] (अग्निदाह राख)
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[[चित्र:Anandibai gopalrao joshi.jpg|thumb|right|200px|आनंदीबाई जोशी]]
'''आनंदीबाई जोशी''' (31 मार्च 1865-2801 फ़रवरी 1887) [[पुणे]] शहर में जन्‍मी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्‍होंने डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी। जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, ऐसे में विदेश जाकर<ref name="McNeill 2017">{{cite web | last=McNeill | first=Leila | title=This 19th Century "Lady Doctor" Helped Usher Indian Women Into Medicine | website=Smithsonian | date=२४ अगस्त २०१७ | url=https://www.smithsonianmag.com/science-nature/19th-century-lady-doctor-ushered-indian-women-medicine-180964613/ | accessdate=३१ मार्च २०१८ | archive-url=https://web.archive.org/web/20180401003851/https://www.smithsonianmag.com/science-nature/19th-century-lady-doctor-ushered-indian-women-medicine-180964613/ | archive-date=1 अप्रैल 2018 | url-status=live }}</ref> डॉक्‍टरी की डिग्री हासिल करना अपने-आप में एक मिसाल है। उनका विवाह नौ साल की अल्‍पायु में उनसे करीब 20 साल बड़े गोपालराव से हो गया था। जब 14 साल की उम्र में वे माँ बनीं और उनकी एकमात्र संतान की मृत्‍यु 10 दिनों में ही गई तो उन्‍हें बहुत बड़ा आघात लगा। अपनी संतान को खो देने के बाद उन्‍होंने यह प्रण किया कि वह एक दिन डॉक्‍टर बनेंगी और ऐसी असमय मौत को रोकने का प्रयास करेंगी। उनके पति गोपालराव ने भी उनको भरपूर सहयोग दिया और उनकी हौसला अफजाई की।
 
आनंदीबाई जोशी का व्‍यक्तित्‍व महिलाओं के लिए प्रेरणास्‍त्रोत है। उन्‍होंने सन् 1886 में अपने सपने को साकार रूप दिया। जब उन्‍होंने यह निर्णय लिया था, उनकी समाज में काफी आलोचना हुई थी कि एक शादीशुदा हिंदू स्‍त्री विदेश (पेनिसिल्‍वेनिया) जाकर डॉक्‍टरी की पढ़ाई करे। लेकिन आनंदीबाई एक दृढ़निश्‍चयी महिला थीं और उन्‍होंने आलोचनाओं की तनिक भी परवाह नहीं की। यही वजह है कि उन्‍हें पहली भारतीय महिला डॉक्‍टर होने का गौरव प्राप्‍त हुआ। डिग्री पूरी करने के बाद जब आनंदीबाई भारत वापस लौटीं तो उनका स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ने लगा और बाईस वर्ष की अल्‍पायु में ही उनकी मृत्‍यु हो गई। यह सच है कि आनंदीबाई ने जिस उद्देश्‍य से डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी, उसमें वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाईंं, परन्तु उन्‍होंने समाज में वह स्थान प्राप्त किया, जो आज भी एक मिसाल है।<ref>{{Cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80/%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%A1%E0%A5%89%E0%A4%95%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B0-1071029062_1.htm |title=वेब दुनिया (हिन्दी), शीर्षक: आनंदी बाई जोशी : पहली भारतीय महिला डॉक्‍टर |access-date=26 नवंबर 2013 |archive-url=https://web.archive.org/web/20131203002240/http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80/%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%A1%E0%A5%89%E0%A4%95%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B0-1071029062_1.htm |archive-date=3 दिसंबर 2013 |url-status=dead }}</ref>