"अनेकात्मवाद": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 13:
== जैन दर्शन ==
[[जैन धर्म]] आत्मा की एकता में विश्वास नहीं रखता है। सूत्रकृतांग में कहा गया है कि "यदि सारे जीवित प्राणियों में एकात्मता होती, तो वे, उनका रूप रंग, गतिविधि एक समान होती। पृथक-पृथक ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, कीड़े-मकोड़े, पक्षी और सर्प न होते । सभी या तो मनुष्य होते या देवता।" इस प्रकार, जैन धर्म आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार करता है परन्तु 'परम-आत्मिकता' को अस्वीकार करता है।
{{भारतीय दर्शन}}
[[श्रेणी:भारतीय दर्शन]]
|