"इंडियन (अमेरिका के आदिवासी)": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
[[कोलंबस]] की भूल के कारण बाह्म जगत् उन्हें "इंडियन" नाम से जानता है। [[भारत]] की खोज मेंओर चले कोलंबस ने अमरीका को ही भारत जान लिया था और 1493 में लिखे गए अपने एक पत्र में उसने यहाँ के निवासियों का उल्लेख "इंडियोस" के रूप में किया था। इस भूभाग पर गोरी जातियों की सत्ता का विस्तार इंडियन समूहों की जनसंख्या के एक बड़े भाग के नाश का तथा सामान्य रूप से उनकी संस्कृतियों के हास का कारण हुआ। उनके छोटे छोटे समूह इस विस्तृत भूभाग में विभिन्न क्षेत्रों में अब भी पाए जाते हैं, यद्यपि उनकी संख्या बहुत कम रह गई है। उनमें संस्कृति के कई धरातल हैं और वे कई भिन्न परिवारों की भाषाएँ बोलते हैं। समवर्ती गोरी जातियों के व्यापक सांस्कृतिक प्रभावों के कारण उनकी प्राचीन संस्कृति में बड़ी तीव्र गति से परिवर्तन हो रहे हैं। उन्हें विनष्ट होने से बचाने के लिए पिछले कुछ दशकों में शासन की ओर से विशेष प्रयत्न किए गए हैं।
 
अमरीकी इंडियनों की उत्पति के संबंध में समय-समय पर अनेक संभावनाएँ, कल्पनाएँ और मान्यताएँ उपस्थित की गई हैं। कुछ लोगों का अनुमान था कि वे [[इज़रायल]] की दस खोई हुई जातियों के वंशज है और कुछ लोग उन्हें सिकंदर की जलसेना के भटके हुए बेड़ों के नाविकों की संतान मानते हैं। उसके संबंध में यह धारणा भी थी कि वे किंवदंतियों में वर्णित "एटलांटिस महाद्वीप" अथवा प्रशांत महासागर के "मू" नामक काल्पनिक द्वीप के मूल निवासियों की संतान हैं। मध्य अमरीका की माया इंडियन जाति और प्राचीन मिस्र की स्थापत्यकला में समता दृष्टिगत होने के कारण यह अनुमान भी किया गया कि इंडियन मिस्र अथवा मिस्र से प्रभावित देशों से अमरीका आए। इस संदर्भ में यह जानना आवश्यक है कि जिस काल में माया इंडियनों ने मंदिरों का निर्माण आरंभ किया उसके कई हजार वर्ष पहले ही मिस्र की प्राचीन स्थापत्यशैली का ह्रास हो चुका था। अमरीका में प्राचीन मानव संबंधी वैज्ञानिक खोजें होने के पहले यह संभावता भी थी कि इंडियनों के पूर्वज इस भूमि पर मानव जाति की एक स्वतंत्र शाखा के रूप में विकसित हुए हों, परंतु अब यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि अमरीकी महाद्वीपों पर मानव जाति की कोई शाखा के विकासक्रम में इस भूभाग पर केवल लीमर, टारसियर और कतिपय जातियों के बंदरों के प्रस्तीकृत अवशेष ही मिले हैं। प्राचीन मानव जातियों के अध्येता परिश्रमपूर्वक खोज करने पर भी निकटमानव वानर अथवा प्राचीन मानव कोई अवशेष यहाँ नहीं पा सके हैं। इस तरह यह कहा जा सकता है कि यहाँ मानव जाति की किसी शाखा के स्वतंत्र विकास की संभावना नहीं थी और यहाँ के प्राचीनतम निवासियों के पूर्वज संसार के किसी अन्य भाग से आकर ही यहाँ बसे होंगे।