"व्यवहारवाद": अवतरणों में अंतर

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जे0वी0 वाटसन ने व्यवहारवाद के माध्यम से मनोविज्ञान में क्रान्तिकारी विचार रखे। वाटसन का मत था कि मनोविज्ञान की विषय-वस्तु चेतन या अनुभूति नहीं हो सकता है। इस तरह के व्यवहार का प्रेक्षण नहीं किया जा सकता है। इनका मत था कि '''मनोविज्ञान [[व्यवहार]] का विज्ञान है'''। व्यवहार का प्रेक्षण भी किया जा सकता है तथा मापा भी जा सकता है। उन्होने व्यवहार के अध्ययन की विधि के रूप में [[प्रेक्षण]] तथा अनुबंधन (कन्डीशनिंग) को महत्वपूर्ण माना। वाटसन ने मानव प्रयोज्यों के व्यवहारों का अध्ययन करने के लिये शाब्दिक रिपोर्ट की विधि अपनायी जो लगभग [[अन्तर्निरीक्षण विधि]] के ही समान है।
 
वाटसन ने [[अधिगम|सीखना]], [[संवेग]] तथा [[स्मृति]] के क्षेत्र में कुछ प्रयोगात्मक अध्ययन किये जिनकी उपयोगिता तथा मान्यता आज भी शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में अधिक है। व्यवहारवाद के इस धनात्मक पहलू को '''आनुभविक व्यवहारवाद''' कहा जाता है। वाटसन के व्यवहारवाद का ऋणात्मक पहलू वुण्ट तथा टिचनर के संरचनावाद को तथा एंजिल के [[प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान|प्रकार्यवाद]] को अस्वीकृत करना था। 1919 ई0 में वाटसन ने अपने व्यवहारवाद की तात्विक स्थिति को स्पष्ट किया जिसमें चेतना या मन के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया गया। इसे "'''तात्विक व्यवहारवाद"''' कहा गया। वाटसन ने [[अधिगम|सीखना]], [[भाषा विकास]], [[चिंतन|चिन्तन]], [[स्मृति]] तथा [[संवेग]] के क्षेत्र में जो अध्ययन किया वह [[शैक्षिक मनोविज्ञान|शिक्षा मनोविज्ञान]] के लिये काफी महत्वपूर्ण है।
 
वाटसन व्यवहार को [[अनुवांशिकता|अनुवंशिक]] न मानकर [[पर्यावरण / |पर्यावरणी]] बलों द्वारा निर्धारित मानते थे। वे पर्यावरणवाद के एक प्रमुख हिमायती थे। उनका कथन, "मुझे एक दर्जन स्वस्थ बच्चे दें, आप जैसा चाहें मैं उनको उस रूप में बना दूंगा।" यह उनके पर्यावरण की उपयोगिता को सिद्ध करने वाला कथन है। वाटसन का मानना था कि मानव व्यवहार उद्दीपक-अनुक्रिया (S-R) सम्बन्ध को इंगित करता है। प्राणी का प्रत्येक व्यवहार किसी न किसी तरह के उद्दीपक के प्रति एक अनुक्रिया ही होती है।
 
== उत्तरकालीन व्यवहारवाद ==