"सन्त एकनाथ": अवतरणों में अंतर

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{{Infobox Hindu leader
'''एकनाथ''' (१५३३-१५९९ ई.) प्रसिद्ध मराठी सन्त जिनका जन्म [[पैठण]] में संत भानुदास के कुल में हुआ था। इन्होंने [[ज्ञानेश्वर|संत ज्ञानेश्वर]] द्वारा प्रवृत्त साहित्यिक तथा धार्मिक कार्य का सब प्रकार से उत्कर्ष किया। ये संत भानुदास के पौत्र थे। [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] के समान [[मूल नक्षत्र]] में जन्म होने के कारण ऐसा विश्वास है कि कुछ महीनों के बाद ही इनके माता पिता की मृत्यु हो गई थी। बालक एकनाथ स्वभावत: श्रद्धावान तथा बुद्धिमान थे। [[देवगढ़]] के हाकिम [[जनार्दन स्वामी]] की ब्रह्मनिष्ठा, विद्वत्ता, सदाचार और भक्ति देखकर भावुक एकनाथ उनकी ओर आकृष्ट हुए और उनके शिष्य हो गए। एकनाथ ने अपने गुरु से [[ज्ञानेश्वरी]], [[अमृतानुभव]], [[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]] आदि ग्रंथों का अध्ययन किया और उनका आत्मबोध जाग्रत हुआ। [[गुरु]] की आज्ञा से ये गृहस्थ बने।
|name = सन्त एकनाथ
[[File:Eknath 2003 stamp of India.jpg]]
|title = सन्त एकनाथ
[[File:|image = Eknath 2003 stamp of India.jpg]]
|caption = भारत के सन २००३ के एक डाकटिकट पर सन्त एकनाथ
| religion = [[हिन्दू]]
| father = सूर्यनारायण
| mother = कुक्मिणीबाई
|birth_date = 1533 ई.
|birth_place = [[पैठण]] (वर्तमान समय का पैठण तालुका, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
|birth_name =
|full_name =
|death_date = 1599 ई. ( 66 वर्ष की आयु में)
|death_place =
|guru =
|philosophy = [[अद्वैत]], [[वारकरी सम्प्रदाय|वारकरी]]
|honors = सन्त
|literary_works = एकनाथ भागवत, भावार्थ रामायण, रुक्मिणी स्वयंवर हस्तमालक, शुक-अष्टक, स्वात्म सुख, आनन्द लहरी, चिरंजीव पद, गीता सार, प्रह्लाद विजय
}}
 
'''एकनाथ''' (१५३३-१५९९ ई.) प्रसिद्धभारत मराठीके एक प्रसिद्ध सन्त थे। जिनका जन्म [[पैठण]] में संत भानुदास के कुल में हुआ था। इन्होंने [[ज्ञानेश्वर|संत ज्ञानेश्वर]] द्वारा प्रवृत्त साहित्यिक तथा धार्मिक कार्य का सब प्रकार से उत्कर्ष किया। ये संत भानुदास के पौत्र थे। [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] के समान [[मूल नक्षत्र]] में जन्म होने के कारण ऐसा विश्वास है कि कुछ महीनों के बाद ही इनके माता पिता की मृत्यु हो गई थी। बालक एकनाथ स्वभावत: श्रद्धावान तथा बुद्धिमान थे। [[देवगढ़]] के हाकिम [[जनार्दन स्वामी]] की ब्रह्मनिष्ठा, विद्वत्ता, सदाचार और भक्ति देखकर भावुक एकनाथ उनकी ओर आकृष्ट हुए और उनके शिष्य हो गए। एकनाथ ने अपने गुरु से [[ज्ञानेश्वरी]], [[अमृतानुभव]], [[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]] आदि ग्रंथों का अध्ययन किया और उनका आत्मबोध जाग्रत हुआ। [[गुरु]] की आज्ञा से ये गृहस्थ बने।
 
एकनाथ अपूर्व संत थे। [[प्रवृत्ति]] और [[निवृत्ति]] का ऐसा अनूठा समन्वय कदाचित् ही किसी अन्य संत में दिखाई देता है। आज से ४०० वर्ष पूर्व इन्होंने मानवता की उदार भावना से प्रेरित होकर [[अछूतोद्धार]] का प्रयत्न किया। ये जितने ऊँचे संत थे उतने ही ऊँचे [[कवि]] भी थे। इनकी टक्कर का बहुमुखी सर्जनशील प्रतिभा का कवि महाराष्ट्र में इनसे पहले पैदा नहीं हुआ था। महाराष्ट्र की अत्यंत विषम अवस्था में इनको साहित्यसृष्टि करनी पड़ी। [[मराठी भाषा]], उर्दू-फारसी से दब गई थी। दूसरी ओर [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] के पंडित देशभाषा मराठी का विरोध करते थे। इन्होंने मराठी के माध्यम से ही जनता को जाग्रत करने का बीड़ा उठाया।