"बीमा": अवतरणों में अंतर
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जीवन बीमा में मिलनेवाली धनराशि बीमा करनेवाले पर कर्ज माना गया है। इसलिए संपत्ति-हस्तांतरण-विधि (T.P.A.) की धारा तीन के अंतर्गत यह "संपत्ति" की श्रेणी में आ जाता है तथा उक्त विधि की धारा 130 के अनुसार इसका हस्तांतरण किया जा सकता था। अब जीवन बीमा की धनराशि के हस्तांतरण की व्यवस्था बीमा विधि की धारा 38 व 39 में की गई है। उक्त धनराशि का हस्तांतरण अभिहस्तांकन (assignment) द्वारा भी किया सकता है (धारा 38) और नामांकन (nomination) द्वारा भी (39)। अभिहस्तांकन में बीमा करानेवाला उस बीमा अनुबंध से उत्पन्न अपन अधिकारों एवं हितों को दूसरे को हस्तांतरित कर देता है। नामांकन का अर्थ केवल यह है कि बीमा करानेवाले की मृत्यु पर यदि नामांकित व्यक्ति जीवित हो तो बीमे की धनराशि उसे उपलब्ध हो जाए। नामांकन बिना सूचना के बदला जा सकता है। यदि नामांकित व्यक्ति की मृत्यु पहले हो जाए तो बीमा करानेवाले को ही धनराशि पाने का अधिकार पुन: प्राप्त हो जाता है। अभिहस्तांकन में ऐसा नहीं है। यदि एक बार बीमा अनुबंध के अधिकार अभिहस्तांकित कर दिए गए तो उसकी पूर्व अनुमति के बिना दूसरा अभिहस्तांकन नहीं किया जा सकता। यदि बीमा करानेवाले के पहले अभिहस्तांकित की मृत्यु हो जाए तो वे अधिकार बीमा करानेवाले को वापस नहीं मिलते वरन् उस मृत व्यक्ति के उत्तराधिकारियों को उपलब्ध हो जाते हैं।
जीवन बीमाँ कई प्रकार के होते है, जैसे टर्म लाइफ इंश्योरेंस, एंडोमेंट पॉलिसी, यूनिट लिंक्ड बीमा, सम्पूर्ण जीवन बीमा योजना, मनी बैक प्लान आदि। जीवन बीमा योजना आपको कम उम्र जानी युवावस्था में खरीदने पर कम प्रीमियम दरों में आपको अच्छा कवर देती है। अगर आप बड़े होने पर वही बीमा पॉलिसी खरीदते हो, तो आप उस प्लान की तुलना में बहुत अधिक प्रीमियम का भुगतान कर रहे होते हो।<ref>{{Cite web|url=https://insurancehindiguide.com/what-is-life-insurance-hindi/|title=Insurance Hindi Guide|website=insurancehindiguide.com}}</ref>
=== दुर्घटना बीमा ===
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