"खंडवा": अवतरणों में अंतर
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'''खंडवा''' (Khandwa) [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] राज्य के [[खंडवा ज़िले]] में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।<ref>"[https://books.google.com/books?id=X6XNCwAAQBAJ Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190703183559/https://books.google.com/books?id=X6XNCwAAQBAJ
== विवरण ==
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=== ओमकारेश्वर का गुरूद्वारा ===
इस गुरूद्वारे को नानकदेव के ओमकारेश्वर आने के पश्चात् बनवाया गया था। नानकदेव के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए बना यह गुरूद्वारा सिक्ख और हिन्दू धर्म के अनुयायियों से भरा रहता है। ओमकारेश्वर रेलवे स्टेशन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है।
'''श्री विठ्ठल मंदीर, खंडवा'''
श्री विठ्ठल मंदीर, खंडवा का एक पुरातन मंदीर है, जीसकी स्थापना श्री सदगुरु सच्चिदानंद स्वामी महाराज ने सन १८५० में की । श्री सदगुरु सच्चिदानंद स्वामी महाराज जी ने रावेर खांदेश में भव्य मंदिर निर्माण किया और वहा भगवान दत्तात्रेय की मुर्ती स्थापित की। सन १८८८ में स्वामी महाराज जी ने रावेर स्थित मंदिरमे संजीवन समाधी ली । नेमाड और खांदेश प्रांत में स्वामी जी लाखों शिष्य है।
सदय गादीपती श्री गुरु श्रीपाद महाराज यह परंपरा आगे बढ़ा रहे हैं । हर वर्ष आषाढी एकादशी निमित्त पर "नाम सप्ताह ऊत्सव" धुमधाम से मनया जाता है । इस उत्सव की शुरवात स्वामी महाराज ने १८८० मे की | उनके बाद मंदीर की गद्दीपर नाना महाराज बैठे ।
श्री गुरु नाना महाराज इनका जन्म महाराष्ट्र के तांदलवाडी तहसील रावेर ग्राममे हुआ। श्री महाराज जी का पुरा नाम नाना अनंतराव कुलकर्णी ईनके वंशज दत्त मंदिर से जुडी सभी शाखाओं का सेवा संभालते है । यह सब निजी संस्था है ।मूल पुरुष श्री सद्गुरु सच्चिदानंद स्वामी महाराज इनकी कृपा नाना महाराज जी के बडे भाई माधवदास महाराज पर हुयी। जिंनकी समाधी रावेर में है। छोटे भाई नाना महाराज भी भगवान के उच्च कोटी के भक्त थे । उन्होने तांदलवाडी अंगणवाडी गाव की खेती और घर मकान अपने रिश्तेदारों को दे दिया बडे भाई के साथ श्री गुरु महाराज की सेवामे रहने लगे। गुरु महाराज की आरती ,स्तोत्र ,अष्टक ,ये सब नाना महाराज जी ने ही लिखित किया है। संन्यास दीक्षा के बाद श्री नाना महाराज जी का नाम श्री आनंदानंद स्वामी महाराज रखा गया । आपने श्री विठ्ठल मंदिर खंडवा मे भगवान के चरणो मे समाधी ली है । बादमे श्री गुरू केशवदास महाराज गद्दी पर बैठे श्री गुरुदेव केशवदास जिके ही कालमे मंदिरका विस्तार हुआ है।
==सिगांजी धाम==
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