"फेफड़ा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:heart-and-lungs.jpg|thumbnail|right|230px|[[होमो सेपियन्स|मानव]] के वक्ष गुहा में [[हृदय|हिया]] को घेरे हुए दोनों फेफड़े.<ref name = "GA">[[Gray's Anatomy|ग्रे की मानव शारीरिकी]]'', 20th ed. 1918.</ref>]]
वायु में सांस लेने वाले प्राणियों का मुख्य [[श्वसन तंत्र|सांस]] लेने के अंग '''फेफड़ा''' या '''फुप्फुस''' (जैसा कि इसे वैज्ञानिक या चिकित्सीय भाषा मे कहा जाता है) होता है। यह प्राणियों में एक जोडे़ के रूप मे उपस्थित होता है। फेफड़े की दीवार असंख्य गुहिकाओं की उपस्थिति के कारण स्पंजी होती है। यह [[वक्ष गुहा]] में स्थित होता है। इसमें [[रक्त]] का शुद्धीकरण होता है। प्रत्येक फेफड़ाहै में एक फुफ्फुसीय धमनी[[हृदय]] से अशुद्ध रक्त लाती है। फेफड़े में रक्त का शुद्धीकरण होता है। रक्त में ऑक्सीजन का मिश्रण होता है। फेफडो़ं का मुख्य काम वातावरण से [[ऑक्सीजन|प्राणवायु]] लेकर उसे रक्त परिसंचरण मे प्रवाहित (मिलाना) करना और रक्त से [[कार्बन डाईऑक्साइड|कार्बन डाइऑक्साइड]] को अवशोषित कर उसे वातावरण में छोड़ना है। गैसों का यह विनिमय असंख्य छोटे छोटे पतली-दीवारों वाली वायु पुटिकाओं जिन्हें अल्वियोली कहा जाता है, मे होता है। यह शुद्ध रक्त [[फुफ्फुस शिरा|फुफ्फुसीय शिरा]] द्वारा हृदय में पहुँचता है, जहां से यह फिर से शरीर के विभिन्न अंगों मे पम्प किया जाता है। स्टील के फेफड़े एक शराबी के होते है जो 30 साल लगातार एक बॉटल पिए और 80 प्लस हो पर फिर भी हाफ डेली पीता हो और वो जिंदा हो उसको कहते है इसके तो स्टील के फेफड़े है सुशील चंडोक के अपने अनुभव से
 
== सन्दर्भ ==