"अहुरा मज़्दा": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
अहुरमज्द प्राचीन [[ईरान]] के पैगंबर [[ज़रथुस्त्र]] की ईश्वर (अहु=स्वामी, मज्द=परम ज्ञान) को प्रदत्त संज्ञा। सर्वद्रष्टा, सर्वशक्तिमान्‌, सृष्टि के एक कर्ता, पालक एवं सर्वोपरि तथा अद्वितीय, जिसे वंचना छू नहीं सकती और जो निष्कलंक है। पैगंबर की 'गाथाओं' अथवा स्तोत्रों में ईश्वर की प्राचीनतम, महत्तम एवं अत्यंत पवित्र भावना का समावेश मिलता है और उसमें प्राकृतिक शक्ति (स्थ्रोंपॉमर्फिक) पूजा का सर्वथा अभाव है जो प्राचीन आर्य और सामी देवताओं की विशेषता थी। धार्मिक नियमों में जिनका पालन करना प्रत्येक ज़रथुस्त्र मतावलंबी का कर्तव्य माना जाता है; उसे इस प्रकार कहना पड़ता है-''मैं अहुरमज्द के दर्शन में आस्था रखता हूँ... मैं असत देवताओंदैवो की प्रभुता तथा उनमें विश्वास रखनेवालों की अवहेलना करता हूँ।'' आधुनिक पश्चिमी विद्वान लोगो ने दैवो और देवताओं को बराबर कर दिया जबकि संस्कृत में दैव शब्द और देव शब्द के विपरीत अर्थ है।
 
इस प्रकार प्रत्येक नवमतानुयायी प्रकाश का सैनिक होता है जिसका पुनीत कर्तव्य अंधकार और वासना की शक्तियों से धर्मसंस्थान के लिए लड़ना है।