"भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण": अवतरणों में अंतर

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'''भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया'', लघुरूप:ट्राई) भारत में [[दूरसंचार]] पर नियंत्रण हेतु एक स्वायत्त नियामक प्राधिकरण है। इसका गठन १९९७ में [[भारत सरकार]] द्वारा किया गया था।<ref name="ट्राई">[http://www.trai.gov.in/Haboutus.asp ट्राई जालस्थल पर]।अभिगमन तिथि: १८ दिसंबर, २००९</ref><ref name="हिन्दुस्तान">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-86364.html ट्राई]।हिन्दुस्तान लाइव।१७ दिसंबर, २००९ </ref> इसकी स्थापना [http://www.trai.gov.in/Htrai_act.asp भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम १९९७], एवं बाद में इसी [http://www.trai.gov.in/Hamendment_act.asp अधिनियम के २००० संशोधन] के द्वारा यथासंशोधित कर की गई थी, जिसका मिशन [[भारत]] में दूरसंचार संबंधित व्यापार को नियमित करना था। प्राधिकरण का लक्ष्य भारत में दूरसंचार के विकास के लिए ऐसी रीति तथा ऐसी गति से परिस्थितियां सृजित करना तथा उन्हें संपोषित करना है, जो भारत को उभरते हुए वैश्विक समाज में एक अग्रणी भूमिका निभाने में समर्थ बना सके।<ref name="ट्राई"/> प्राधिकरण का उद्देश्य है एक ऐसा उचित और पारदर्शी परिवेश उपलब्ध कराना, जो समान अवसरों के लिए प्रोत्साहित करें। इसका मुख्यालय [[नई दिल्ली]] में स्थित है।
 
दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम के अनुसार प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, दो पूर्णकालिक सदस्य और दो अंशकालिक सदस्य से अधिक नहीं होने चाहिये। अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्राधिकरण समय-समय पर नए नियम और आदेश जारी करता रहता है।<ref name="हिन्दुस्तान"/> इसके साथ ही भारतीय दूरसंचार बाजार को बेहतर बनाने के लिए प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण भी प्रदान करता है। ट्राइ के कॉमन चार्टर ऑफ टेलीकॉम सर्विस, २००५ के अनुसार सेवा प्रदाता को अपने उपभोक्ता की गोपनीयता का पूरा ध्यान रखना होता है।<ref name="ट्राई"/>
यदि उपभोक्ता को अपनी समस्या का समाधान सेवा प्रदाता कॉल सेंटर द्वारा नहीं मिलता तो वह अपनी शिकायत नोडल अधिकारी के यहां दर्ज करा सकता है। वहां से भी समस्या का उचित हल न मिल पाने पर उपभोक्ता अपीलेट अथॉरिटी में अपनी शिकायत कर सकता है।<ref name="हिन्दुस्तान"/> सेवा प्रदाता का दायित्व होता है कि वह अपने द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के सक्रिय होने के एक सप्ताह के भीतर उपभोक्ता को टैरिफ योजना के बारे में जानकारी दे दे। बिना इसकी स्वीकृति के उसे मूल्य वर्धित सेवाओं यानि वैल्यू एडेड सर्विस प्रदान नहीं की जा सकती हैं।