"हिन्दी उपन्यास": अवतरणों में अंतर

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[[हिन्दी|हिंदी]] [[उपन्यास]] का आरम्भ [[श्रीनिवासदास]] के "[[परीक्षागुरु]]' (१८४३1843 ई.) से माना जाता है। हिंदी के आरम्भिक उपन्यास अधिकतर ऐयारी और तिलस्मी किस्म के थे। अनूदित उपन्यासों में पहला सामाजिक उपन्यास [[भारतेन्दु हरिश्चंद्र|भारतेंदु हरिश्चंद्र]] का "पूर्णप्रकाश' और चंद्रप्रभा नामक [[मराठी भाषा|मराठी]] उपन्यास का अनुवाद था। आरम्भ में हिंदी में कई उपन्यास बँगला, मराठी आदि से अनुवादित किए गए।
 
हिंदी में सामाजिक उपन्यासों का आधुनिक अर्थ में सूत्रपात [[प्रेमचंद]] (१८८०-१९३६) से हुआ। प्रेमचंद पहले [[उर्दू भाषा|उर्दू]] में लिखते थे, बाद में हिंदी की ओर मुड़े। आपके "सेवासदन', "रंगभूमि', "कायाकल्प', "गबन', "निर्मला', "गोदान', आदि प्रसिद्ध उपन्यास हैं, जिनमें ग्रामीण वातावरण का उत्तम चित्रण है। चरित्रचित्रण में प्रेमचंद गांधी जी के "हृदयपरिवर्तन' के सिद्धांत को मानते थे। बाद में उनकी रुझान समाजवाद की ओर भी हुई, ऐसा जान पड़ता है। कुल मिलाकर उनके उपन्यास हिंदी में आधुनिक सामाजिक सुधारवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं।